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ट्रेन मैनेजरों की दो दशक पुरानी मांगें अब भी अधूरी! ऑल इंडिया गार्ड्स काउंसिल ने रेल मंत्रालय से त्वरित हस्तक्षेप की लगाई गुहार..

बिलासपुर, नवंबर, 12/2025

ट्रेन मैनेजरों की दो दशक पुरानी मांगें अब भी अधूरी! ऑल इंडिया गार्ड्स काउंसिल ने रेल मंत्रालय से त्वरित हस्तक्षेप की लगाई गुहार..

8वें वेतन आयोग के क्रियान्वयन से लेकर रनिंग अलाउंस, एमएसीपी, रिक्तियों की भरती और आयकर छूट तक—रेलवे ट्रेन मैनेजरों की 9 बड़ी मांगें अब भी अधर में…

बिलासपुर। भारतीय रेलवे के ट्रेन मैनेजरों (गार्ड्स) की वर्षों से लंबित समस्याएं अब गंभीर चिंता का विषय बन चुकी हैं। ऑल इंडिया गार्ड्स काउंसिल (AIGC) ने रेल प्रशासन और मंत्रालय से एक बार फिर शीघ्र एवं न्यायसंगत समाधान की मांग की है। काउंसिल का कहना है कि कई शिकायतें और मांगें ऐसी हैं जो लगभग दो दशकों से अनसुलझी हैं। लगातार प्रतिनिधित्व और पत्राचार के बावजूद इन पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई है, जिससे कर्मचारियों का मनोबल गिरा है और वे व्यावसायिक व व्यक्तिगत संकटों का सामना कर रहे हैं। काउंसिल ने रेल मंत्रालय से 9 प्रमुख मुद्दों पर तत्काल कार्रवाई की मांग की है।

बिलासपुर प्रेस क्लब में प्रेस वार्ता कर AIGC के सदस्यों ने जानकारी देते हुए अपनी मांगे रखी प्रेस वार्ता के दौरान AIGC के महामंत्री डी. विश्वास, जोनल प्रेसिडेंट संतोष मिश्रा, मंडल सचिव, अशोक दीक्षित, मंडल मीडिया प्रभारी, रजनी पटेल, बिलासपुर शाखा सचिव डीएन रवि और एस के मांझी सहित अन्य सदस्य उपस्थि रहे।

1. 8वें वेतन आयोग (8th CPC) के क्रियान्वयन में तेजी लाने की मांग

वित्त मंत्रालय द्वारा 3 नवंबर 2025 को 8वें केंद्रीय वेतन आयोग की अधिसूचना जारी की गई थी। काउंसिल ने अनुरोध किया है कि आयोग के सुचारू संचालन हेतु पर्याप्त मंत्रालयिक स्टाफ और कार्यालय स्थान तुरंत उपलब्ध कराया जाए, ताकि कर्मचारियों को समय पर इसका लाभ मिल सके।

2. “असिस्टेंट गार्ड” पद को रिकॉर्ड से हटाने की मांग

रेल मंत्रालय ने 1991 में पार्सल लीजिंग योजना शुरू की थी, जिसके बाद 2006 में सहायक गार्ड के केबिनों में पार्सल स्थान लीजिंग लागू हुई। परिणामस्वरूप यह पद अप्रासंगिक हो गया था। 2012 में रेलवे बोर्ड ने इस पद को समाप्त करने के निर्देश भी दिए थे, फिर भी यह पद अभी तक रिकॉर्ड में दर्ज है। काउंसिल ने इसे प्रशासनिक लापरवाही बताते हुए रिकॉर्ड से तत्काल हटाने की मांग की है।

3. ट्रेन मैनेजरों के लिए उचित वेतन स्तर निर्धारण

काउंसिल ने कहा है कि पिछले 20 वर्षों से ट्रेन मैनेजरों के वेतन स्तर में समानता और संशोधन की मांग लंबित है। उन्होंने अनुरोध किया है कि ऑपरेटिंग विभाग की समान श्रेणियों की तरह गुड्स गार्ड को 4600 GP, सीनियर गुड्स गार्ड को 4800 GP, पैसेंजर ग्रेड को 5400 GP और मेल/एक्सप्रेस ग्रेड में आनुपातिक वृद्धि दी जाए।

4. ट्रेन मैनेजरों को एमएसीपी (MACP) लाभ देने की मांग

रेलवे बोर्ड के आदेश RBE 101/2009 और RBE 25/2011 के तहत ट्रेन मैनेजरों को वित्तीय उन्नयन से वंचित किया गया था। अदालत में यह आदेश अमान्य पाए गए हैं, इसके बावजूद आज तक संशोधन नहीं हुआ। काउंसिल ने तुरंत एमएसीपी लाभ बहाल करने की मांग की है।

5. रनिंग अलाउंस में 25% की वृद्धि की मांग

7वें वेतन आयोग के अनुसार जब महंगाई भत्ता (DA) 50% तक बढ़ता है, तो अन्य भत्तों में 25% की वृद्धि लागू होती है। लेकिन रनिंग अलाउंस, जिसमें ट्रैवल अलाउंस (TA) भी शामिल है, को इससे वंचित रखा गया। AIGC ने इसे “भेदभावपूर्ण निर्णय” बताते हुए 25% वृद्धि तत्काल लागू करने की मांग की है।

6. 24 जनवरी 2025 के जेपीओ को निरस्त करने की मांग

वाहनों की सुरक्षा प्रक्रिया से संबंधित 24.01.2025 को जारी रेलवे बोर्ड का जेपीओ ट्रेन मैनेजरों के बीच असंतोष का कारण बना है। काउंसिल ने कहा कि यह आदेश सुरक्षा निदेशालय की स्वीकृति के बिना जारी किया गया है और स्थापित प्रक्रियाओं के विपरीत है। इसलिए इस जेपीओ को निरस्त कर 13.11.2024 के निर्देशों को लागू रखने की मांग की गई है।

7. 28% रिक्त पदों की तुरंत भरती करें

काउंसिल ने बताया कि भारतीय रेलवे में ट्रेन मैनेजरों के लगभग 28% पद रिक्त हैं, जिससे मौजूदा कर्मचारियों पर अत्यधिक कार्यभार बढ़ गया है। न तो उन्हें छुट्टियां मिल पा रही हैं और न ही परिवारिक कार्यक्रमों में शामिल हो पा रहे हैं। उन्होंने मांग की है कि इन रिक्तियों को युद्धस्तर पर भरा जाए।

8. पेंशन नियमों में संशोधन की मांग

काउंसिल ने सर्वोच्च न्यायालय के डी.एस. नकरा बनाम भारत संघ (1983) के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि सेवानिवृत्ति तिथि के आधार पर पेंशनधारियों के साथ भेदभाव असंवैधानिक है। उन्होंने आग्रह किया है कि केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियमों के ऐसे प्रावधानों को रद्द किया जाए जो इस सिद्धांत के विपरीत हैं।

9. रनिंग अलाउंस पर आयकर छूट सीमा बढ़ाने की मांग

वर्तमान में ट्रेन मैनेजरों को मिलने वाले रनिंग अलाउंस पर ₹10,000 तक की कर छूट लागू है। जबकि 2012 के बाद कई बार अलाउंस बढ़ाया गया, छूट सीमा में कोई संशोधन नहीं हुआ। काउंसिल ने इसे ₹50,000 तक बढ़ाने की मांग की है, ताकि कर्मचारियों की टेक-होम सैलरी पर अनावश्यक बोझ न पड़े।

समय पर कार्रवाई से बढ़ेगा मनोबल और प्रशासन पर भरोसा

AIGC ने कहा कि यदि रेल मंत्रालय इन लंबे समय से लंबित मुद्दों पर शीघ्र निर्णय लेता है, तो यह कर्मचारियों के मनोबल को बढ़ाने, रेलवे संचालन की दक्षता बढ़ाने और प्रशासन पर विश्वास को मजबूत करने में सहायक सिद्ध होगा।

ट्रेन मैनेजरों का कहना है कि उनकी मांगें न केवल वेतन या भत्तों से जुड़ी हैं, बल्कि यह रेल संचालन की सुरक्षा और कार्य संतुलन से भी गहराई से संबंधित हैं। अगर सरकार ने इन मांगों पर गंभीरता से विचार नहीं किया, तो आने वाले दिनों में रेलवे कर्मचारियों में असंतोष और बढ़ सकता है।

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Lokesh war waghmare - Founder/ Editor