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छेड़छाड़ से परेशान महिला को न्याय मिलने की जगी आस… आरोपी रेलवे चीफ कामर्शियल इंस्पेक्टर हुआ गिरफ्तार… डीजीपी का आदेश भी दरकिनार… रेलवे प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी उठे सवाल…

बिलासपुर // SECR रेलवे में पदस्थ चीफ कामर्शियल इंस्पेक्टर को छेड़छाड़ के आरोप में बिलासपुर की तोरवा पुलिस ने गिरफ्तार किया है। इंस्पेक्टर का नाम विजय कुमार कोरी है जो वर्तमान में चाम्पा रेलवे में पदस्थ है । 52 वर्षीय इंस्पेक्टर अपने ही कार्यालय की जूनियर महिला स्टॉफ से लगातार अश्लील बात कर छेड़छाड़ किया करता था। चुकी महिला आरोपी की जूनियर थी इसलिए वह पहले तो इंस्पेक्टर की बातों को अनसुना कर देती थी। ऐसा करने से आरोपी के हौसले लगातार बढ़ गए और वह अपनी जूनियर से हररोज छेड़छाड़ कर भद्दी टिप्पड़ी करने लगा । लगातार इस हरकत से परेशान होकर पीड़िता ने इसकी शिकायत रेलवे विभाग और पुलिस से की विभागीय जांच में भी पीडिता की शिकायत को सही पाते हुए इंस्पेक्टर को छेड़छाड़ का आरोपी माना । जिसके बाद तोरवा पुलिस ने आरोपी इस्पेक्टर को बिलासपुर के जोन कार्यालय से गिरफ्तार कर उसके खिलाफ 354 के तहत मामला दर्ज कर लिया है। 2016 से छेड़खानी का शिकार हो रही रेलवे महिला कर्मचारी को न्याय मिलने की उम्मीद अब कही जा कर जगी है।

डीजीपी का आदेश दरकिनार, महिला अपराधों को लेकर पुलिस का उदासीन रवैया….

आपको बता दे की रेलवे में पदस्थ महिला वाणिज्यिक निरीक्षक ने जून 2019 में तोरवा थाने में छेड़छाड़ की शिकायत की थी लेकिन इस शिकायत पर तत्कालीन थाना प्रभारी द्वारा शिकायत की अनदेखी करते हुए मामले में कोई कार्यवाही नही की जिसका नतीजा रहा कि आरोपी इंस्पेक्टर लगातार महिला से छेड़छाड़ करता रहा। पुलिस के उदासीन रवैये से समझा जा सकता है कि महिला अपराधों को लेकर पुलिस विभाग कितना संजीदा है।

बहरहाल दूसरी बार शिकायत करने पर अब तोरवा पुलिस ने आरोपी को हिरासत में ले लिया है और आरोपी के खिलाफ 354 के तहत कर्रवाई की जा रही है..जबकि छत्तीसगढ़ डीजीपी का स्पस्ट फरमान है कि महिलाओ के प्रति होने वाले अपराधों में तत्काल ठोस कार्यवाही कर पीड़िता को इंसाफ दिलाया जाए । लेकिन उसके बाद भी पुलिस की उदासीनता और असवेदनशील रैवये के चलते महिला को 4 साल इंसाफ के लिए भटकना पड़ा । अब बडा सवाल है कि क्या डीजीपी के आदेश की अवेहलना करने वाले तत्कालीन थाना प्रभारी के ऊपर कार्यवाही होगी या फिर आदेश को दरकिनार कर इसी प्रकार महिलाओं के साथ इस तरह की मानसिकता वाले वहशी भेड़िये इसी तरह खुलेमाम घुमते रहेंगे।

पुलिस से सहायता न मिलने पर विभाग में करनी पड़ी पीड़िता को शिकायत

पीड़ित महिला को पुलिस से किसी भी प्रकार की सहायता नहीं मिलने के बाद उसने अपने विभाग में शिकायत की नवंबर में शिकायत के बाद विभागीय जांच में आरोपी विजय कुमार कोरी को जनवरी 2020 में आरोपी इंस्पेक्टर को छेड़छाड़ का आरोपी पाया गया। जिसके बाद उस महिला ने विभागीय कार्रवाई पर पुनः तोरवा पुलिस को शिकायत की जिसके बाद विभागीय जांच पर पुलिस ने आरोपों को सही पाते हुए आरोपी इंस्पेक्टर को बिलासपुर के जोन कार्यालय से गिरफ्तार कर लिया है।

लेकिन इन सबके बीच सोचने वाली बात यह है कि जब 2019 जून माह में महिला छेड़छाड़ से तंग आकर तोरवा थाना पहुंची थी.. तो उसे पुलिस के द्वारा किसी भी प्रकार की मदद नहीं मिली थी.. और ना ही मामले की गंभीरता को पुलिस अधिकारियों ने समझा था.. जिसकी वजह से उसे अपने विभाग की शरण लेनी पड़ी थी.. यहां यह भी कहना गलत नहीं होगा कि.. अगर विभाग से उसे किसी भी प्रकार की सहायता नहीं मिलती तो शायद आज पुलिस भी कार्रवाई करने में तत्परता नहीं दिखाती और एक महिला को शर्मिंदगी उठानी पड़ती..

जेल जाने से बचने आरोपी अपनाता रहा कानूनी दांवपेंच…

विभागीय जांच में आरोप सिद्ध होने पर जेल जाने से बचने के लिए आरोपी इंस्पेक्टर ने कोर्ट में परिवाद दायर कर अपने ऊपर लगे आरोपों को झूठा साबित करने में जुट रहा और पीड़ित महिला को ही गलत साबित करने कानूनी दांवपेंच में फंसाने की कोशिश में लगा रहा। पर पुलिस की तत्परता से आरोपी की एक न चली और उसे सलाखों के पीछे जाना ही पड़ा। सूत्रों से जानकारी मिली है कि आरोपी ने अपने कार्यालय की और भी अन्य महिलाओं के साथ छेड़छाड़ और अश्लील हरकतें करता था पर लोकलाज के डर से कई महिलाएं सामने आकर शिकायत नही की । सूत्र बताते हैं की आरोपी इंस्पेक्टर के परिवार के लोग बड़े शासकीय पदों पर बैठे है जिसके चलते आरोपी के हौंसले बुलंद थे जिसकी वजह से वो ऐसे घिनौने कृत्य करता रहा।

रेलवे प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी उठे सवाल…

महिलाओ की सुरक्षा को लेकर लाख दावे करने वाला रेलवे प्रशासन भी सवालों के कटघरे में खड़ा दिखाई दे रहा है, रेलवे प्रशासन पर सवाल खड़े होना इसलिए भी लाजमी है कि विभागीय जांच में आरोपी के खिलाफ अपराध की पुष्टि होने के बाद भी अफसरों ने पुलिस को सूचना क्यों नही दी ? करीब 10 महीने बीत जाने के बाद और आरोप साबित होने के बाद भी इंस्पेक्टर को बर्खास्त क्यों नही किया गया ?

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