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करवाचौथ का व्रत होगा शुभ,इस बार रोहिणी नक्षत्र के साथ मंगल का भी बन रहा योग,

बिलासपुर // करवाचौथ का व्रत जो कि विवाहीत महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और मंगल कामना के लिए निर्जला उपवास रख कर मनाती है, वही अविवाहित युवतियां भी अच्छा पति मिलने की आस में ये कठिन व्रत रखती है, वैसे तो करवाचौथ पंजाब का पारंपरिक पर्व है लेकिन इसे देश के कई राज्यों में भी पूरे रीति रिवाजों के साथ महिलाएँ मनाती है ।

पतियों की मंगल कामना और लंबी उम्र के लिए महिलाएं कई तरह के व्रत रखती हैं जैसे -ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या को वट सावित्री व्रत,सावन -भादों में तीज,मंगला गौरी तीज ,विधि भले ही अलग अलग हो लेकिन सभी मे पति के लिए दीर्घायु मंगल कामना ही छिपी होती है।इस व्रत में महिलाएं भगवान शिव ,माता पार्वती और चंद्रमा की पूजा अर्चना करती हैं।

करवा अर्थात जल पात्र द्वारा कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चौथ को इस व्रत को करती हैं इस दिन महिलाएं अपने पति की मंगल कामना के लिये निर्जला व्रत रखती हैं, शाम को सोलह श्रृंगार कर हाथों में सुहाग की मेंहदी लगाकर पूजा की थाल लेकर चांद निकलने का इंतजार करती हैं, जब चाँद का दीदार होता है पूजा प्रक्रिया आरम्भ कर देती हैं और चंद्रमा को अर्ध्य देकर पति का चेहरा देख कर ही व्रत खोलती हैं।

आमतौर पर करवा चौथ का नाम आते ही सजी -संवरी सोलह श्रृंगार किये हुए नारी की छवि आंखों के सामने आ जाती है परंतु सोलह श्रृंगार का अर्थ केवल सौंदर्य से नही लगाया जा सकता बल्कि ये एक सुहागन महिला के दिल मे छिपे अपने पति के प्रति प्यार,समर्पण, त्याग और संपूर्णता प्रदान करता है ।

कार्तिक मास की चतुर्थी को पड़ने वाले करवाचौथ का व्रत इस बार रोहिणी नक्षत्र (फरवरी के मध्य भाग में मध्याकाश में पश्चिम दिशा की तरफ रात को 6 से 9 के बीच दिखाई देता है) के साथ मंगल का योग बन रहा है,जो की बहुत ही शुभ है।

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