बिलासपुर // तहसीलदार कोर्ट से शिब्या बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड को बड़ा झटका लगा है। तहसीलदार ने उस कांपलेक्स के निर्माण पर रोक लगा दी है, जिसका राजस्व अधिकारियों से मिलीभगत कर 15 डिसमिल जमीन को 24 डिसमिल बढ़वा लिया गया था। तहसीलदार ने दस्तावेज के साथ 28 जनवरी को अपने कोर्ट में उपस्थित होने का नोटिस जारी किया है।
www.newslook.in ने अपने 19 जनवरी के अंक में राजस्व अधिकारियों से मिलीभगत कर जमीन का रकबा बढ़वाने का खुलासा किया था। इसमें बताया गया था कि उमाशंकर अग्रवाल व उनकी मां ने 1987 में पटवारी हल्का नंबर 21/35 के अंतर्गत तीन टुकड़ों में खसरा नंबर 1487/1, 1487/6 और 1487/9 रकबा क्रमश: 5-5 डिसमिल जमीन खरीदी थी। उमाशंकर अग्रवाल के नाम पर दो टुकड़े 5-5 डिसमिल यानी 10 डिसमिल जमीन की रजिस्ट्री हुई। उनकी मां के नाम पर 5 डिसमिल जमीन रजिस्ट्री हुई। 1998 में उमाशंकर ने इस जमीन का डायवर्सन कराने के लिए आवेदन किया। यहीं से रकबा बढ़ाने का खेल भी शुरू हुआ। राजस्व अधिकारियों से मिलीभगत कर उमाशंकर व उनकी मां ने तीनों टुकड़ों को 5-5 डिसमिल बताया और वर्गफीट में खेल करते हुए 35 बाई 70, 35 बाई 70 और 35 बाई 70 उल्लेख किया। उस समय बिलासपुर जिले में पदस्थ डायवर्सन अधिकारियों ने उमाशंकर का भरपूर साथ दिया और दस्तावेज की जांच किए बिना ही डायवर्सन कर दिया। इस तरह से प्रत्येक टुकड़े में 3-3 डिसमिल जमीन अधिक का डायवर्सन हो गया। इस बीच उनकी मां का निधन हो गया। अलबत्ता, उमाशंकर ने मां के नाम पर दर्ज 5 डिसमिल जमीन की फौती उठा ली। इस तरह से उमाशंकर के नाम पर 15 डिसमिल जमीन दर्ज हो गई। तब से 2017 तक उमाशंकर के नाम पर डायवर्टेड भूमि कुल 15 डिसमिल जमीन थी। उमाशंकर अग्रवाल ने 2017 में फिर एक खेल खेला। इस बार उसने 1998 में रची गई साजिश को अमलीजामा पहनाने तहसीलदार के कोर्ट में आवेदन किया। उपलब्ध दस्तावेज के अनुसार उसने डायवर्सन के आधार पर भूमि का रकबा दुरुस्त करने तहसीलदार को आवेदन दिया। यानी कि 35 बाई 70, 35 बाई 70, 35 बाई 70 के हिसाब से राजस्व रिकार्ड दुरुस्त करने कागजात चलाया। तहसीलदार ने डायवर्सन को आधार बनाते हुए उसके रकबे में तीन-तीन डिसमिल जमीन और दर्ज करने का आदेश जारी कर दिया। मंगलवा पटवारी ने तहसीलदार के आदेश का पालन करते हुए 15 डिसमिल जमीन को बढ़ाकर 24 डिसमिल उमाशंकर के नाम पर चढ़ा दिया। कुछ महीने पहले उमाशंकर ने यह जमीन शिब्या बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड के संचालक राकेश शर्मा और सरिता शर्मा को बेच दी, जिस पर शिब्या बिल्डर्स ने कांपलेक्स का निर्माण शुरू कर दिया है। मीडिया में जमीन फर्जीवाड़े का खुलासा होने के बाद एसडीएम के आदेश पर तहसीलदार तुलाराम भारद्वाज ने एक्शन लिया और 21 जनवरी को आदेश जारी करते हुए इस जमीन पर हो रहे निर्माण पर 28 जनवरी तक रोक लगा दी है।
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