पुलिस फोर्स पहुंची, तब भी कोरोना टेस्ट का सैंपल नहीं देने पर अड़ी रहीं सेमरिया की महिलाएं ,,
पुलिस प्रशासन की समझाइश और दबाव के बाद ही सैंपल देने के लिए राजी हुई महिलाएं और ग्रामीण ,,
58 लोगों का लिया गया सैम्पल, डर की वजह से पुलिस फोर्स को साथ लेकर ही…सेमरिया गांव आने की हिम्मत कर सका.. स्वास्थ्य विभाग का अमला …
जांजगीर-चाम्पा (शशि कोन्हेर) // मुलमुला क्षेत्र के सेमरिया गांव में जिस तरह महिलाओं ने स्वास्थ्य अमला और पुलिस टीम को दौड़ाया था, उसके बाद कोरोना पॉजिटिव मरीजों के सम्पर्क में आए लोगों का सैम्पल भी स्वास्थ्य अमला नहीं ले पाया था. बीएमओ ने पामगढ़ एसडीएम से पुलिस सुरक्षा की मांग की थी ।
सेमरिया गांव में गरमाये माहौल को देखते हुए स्वास्थ्य अमला सैम्पल लेने, पुलिस फोर्स के साथ में पहुंचा था.
एडिशनल एसपी मधुलिका सिंह, ट्रैफिक डीएसपी संदीप मित्तल, एसडीओपी दिनेश्वरी नन्द समेत 50 से अधिक बल के साथ पुलिस टीम सेमरिया गांव पहुंची थी, ताकि किसी भी विपरीत हालात से निपटा जा सके । एसडीओपी दिनेश्वरी नन्द ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की टीम सैम्पल लेने पुलिस टीम के साथ पहुंची थी.शुरू में महिलाओं और ग्रामीणों ने सैम्पल देने के लिए आनाकानी की. इस पर उन्हें समझाइश दी गई. काफी देर बाद वे सैम्पल देने राजी हुए और इसके बाद पॉजिटिव 33 मरीजों के कान्टैक्ट में आए 58 लोगों का सैम्पल लिया गया ।
आपको बता दें, सेमरिया गांव में गुरुवार 27 अगस्त को 13 लोगों की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव भी आई है. इससे पहले 33 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी. इस तरह सेमरिया में अब तक 46 कोरोना मरीज मिल चुके हैं और यह गांव अब ‘कोरोना हॉटस्पॉट’ बन गया है । शुरू में इस गांव के 1 शख्स की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी, जिसके बाद 65 लोगों का सैम्पल लिया गया था. इस दौरान 33 लोगों की एक साथ कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी, जिसके बाद हड़कम्प मच गया था ।
गौरतलब है कि सेमरिया गांव में 33 कोरोना मरीज मिलने के बाद जब उन मरीजों को कोविड अस्पताल ले जाने स्वास्थ्य अमला गया था, उस दौरान महिलाओं ने मरीजों का गांव में इलाज करने और सैम्पल नहीं देने की बात को लेकर जमकर हंगामा किया था और स्वास्थ्य विभाग और पुलिस की टीम को दौड़ाया था और पथराव भी किया था. महिलाओं द्वारा दौड़ाने का वीडियो भी सोशल मीडिया में जमकर वायरल हो रहा है. हालांकि, अभी तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई है. पुलिस का कहना है कि उस दिन हुई घटना के बाद कोई भी शिकायत करने थाने नहीं पहुंचा है.
यहां सवाल यह उठता है कि जब महिलाओं ने पथराव किया, दौड़ाया, उस टीम में स्वास्थ्य विभाग के अलावा पुलिस टीम भी थी..तो क्या, जो लोग टीम में शामिल थे, उनसे एफआईआर दर्ज नहीं करवानी चाहिए. वह भी तब, जब सोशल मीडिया में महिलाओं द्वारा दौड़ाने का वीडियो जमकर वायरल हो रहा है. वैसे, वीडियो वायरल होने के बाद प्रशासन की जमकर किरकिरी हो रही है, क्योंकि जिला प्रशासन और पुलिस के अधिकारियों ने वीडियो वायरल होने के पहले ..पथराव या महिलाओं द्वारा किसी तरह के उपद्रव से इनकार किया था, जबकि घटना के दूसरे दिन सोशल मीडिया में महिलाओं द्वारा स्वास्थ्य विभाग और पुलिस की टीम को दौड़ाने का वीडियो वायरल हो गया, फिर इतना कुछ होने के बाद भी किसी के खिलाफ एफआईआर नहीं होने से तमाम तरह के सवाल उठ रहे हैं ?
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