सिम्स बिलासपुर और जिला अस्पताल रायपुर की घटना से मानवता हुई शर्मसार..छ ग सरकार की खुली पोल …
गौ हत्या के लिए जिम्मेवार कौन? बेरोजगारी पर सरकार मौन… गोबर खरीदी उधारी रोजगार योजना-रौशन सिंह भाजयुमो नेता …
बिलासपुर // जिले के भाजयुमो नेता ने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि बिलासपुर के सिम्स अस्पताल में मृतक परिवार को दूसरे का शव अंतिम संस्कार के लिए बदलकर देने की घटना ने मानवता को शर्मसार कर दिया है। इसी प्रकार रायपुर में प्रसव पीड़ित महिला को जिला अस्पताल में फर्श पर प्रसव हेतु मजबूर होना पड़ा। ये वो मामले हैं जो प्रकाश में आये हैं, ऐसी लापरवाही की घटनाएं प्रदेश में आम हो गई हैं। मृतक के शव को बदलकर अन्य को और अन्य के शव किसी दूसरे ही परिवार को सौंपने का अपनी तरह का राज्य का यह पहला वीभत्स मामला है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश के मुखिया को जनता के स्वास्थ्य से कोई लेना देना नहीं है। स्वास्थ्य की बदहाल सेवाओं से लोगों की जान से खिलवाड़ चल रहा है।
प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री कंफ्यूज टाइप है। कभी वह कुछ बोलते तो कभी कुछ।इससे बड़ा कलंक बिलास माई की धरती पर आज तक नहीं लगा कि मृतक व्यवसायी के शव के बदले में अन्य का शव दाह संस्कार हेतु परिजनों को दे दिया गया।ये महज दुर्घटना नहीं घोर पाप है। क्या मंत्रिमंडल के किसी सदस्य के परिवार के साथ ऐसी घटना हो जाती तो क्या सरकार ऐसे ही चुप बैठे रहती है? रोशन सिंह ने कहा कि इस लापरवाही के लिए जिम्मेदारों को तुरंत गद्दी छोड़ देनी चाहिए। टिकरापारा रायपुर निवासी गर्भवती रश्मि यादव (30) को प्रसव पीड़ा होने पर कालीबाड़ी स्थित जिला अस्पताल में उसे भर्ती करने के बजाय कोरोना के संदेह में अस्पताल के दरवाजे के पास बैठा दिया गया। कराहती महिला ने अस्पताल की चौखट पर शिशु को जन्म दिया, स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली से मानवता ने दम तोड़ दिया है और कांग्रेस के लोग नवा छत्तीसगढ़ गढ़ने की बात करते हैं।
रोका छेका और गौठान के नाम पर गौ हत्या का खेल सरकार के संरक्षण में चल रहा है। हर बार जांच होगी कहा जाता है लेकिन गौ माताओं की मौत का सिलसिला रोजाना मीडिया रिपोर्ट में सामने आ रहा है।करोना कॉल में लोक सेवा आयोग के द्वारा सितंबर मास में एवम आगे भी स्थिति को देखते हुए भूपेश बघेल प्रतियोगी परीक्षाओं को रद्द करें। न्यायिक सेवा,वन सेवा ,क्रीड़ा अधिकारी, ग्रंथपाल भर्ती, सहायक प्राध्यापक मनोविज्ञान की भर्ती परीक्षा सीजीपीएससी द्वारा स्टेट गवर्नमेंट करा रही है । उच्च शिक्षा विभाग द्वारा प्रदेश के महाविद्यालयों में विद्यार्थियों के लिए विभिन्न संकाय फाइनल ईयर की परीक्षाये चल रही है आखिर कोरोना काल में विद्यार्थियों को कैरियर के अपने महत्वपूर्ण मोड़ पर जब वे कोरोना से जनित मानसिक संताप व दूषित परिवेश चारों और झेल रहे हैं, राज्य सरकार उनका ख्याल क्यों नहीं कर रही है?
जे ई ई और नेट का मामला केवल केंद्र सरकार को विरोध की राजनीति दिखाने के लिए था विद्यार्थियों की भलाई तो कांग्रेसी शासित राज्यों की सरकारों का बहाना है और इन परीक्षाओं में वाहनों की व्यवस्था का ढिंढोरा पीट कर छपास रोग से सरकार सहानुभूति अर्जित करना चाहती है। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा भी पारा मोहल्ला और गांव में विभिन्न वार्डों में जबरिया वैकल्पिक स्कूल दिखावे की पाठशाला केंद्र सरकार की गाइडलाइन के बावजूद लगाए जा रहे हैं जिनमें बच्चे संक्रमित हो रहे हैं और शिक्षकों की जान से भी खिलवाड़ हो रहा है। दोहरे चरित्र की कांग्रेसी सरकार की पोल जनता जान चुकी है। प्रदेश के युवाओं को रोजगार नहीं दिया जा रहा है। बेरोजगारी भत्ते के लिए सरकार के पास पैसा नहीं है। कर्ज लेकर विधायकों की वेतन भत्ते और पेंशन बढ़ोतरी के लिए पैसे की व्यवस्था है, कोरोना काल में राजनीतिक उठापटक को मैनेज करने के लिए निगम मंडलों में सैकड़ो राजनीतिक नियुक्ति करने के लिए वित्त की व्यवस्था हो जाती है लेकिन बेरोजगारी दूर करने के लिए गोबर बेचो योजना शुरु की जाती है।आखिर क्या इस योजना के पहले गोबरखाद नही मिलती थी।गाय गोबर प्रकृति की स्वाभाविक देन है सरकार ने उस पर धंधेबाजी लो जहां शुरू कर दी, थानों में गोबर चोरी की रिपोर्ट लिखाई जाती है, यह 2 साल की सरकार की उपलब्धि है ।
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