वर्धा, 29 जनवरी // महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने कहा कि हम एक सफल और श्रेष्ठ राष्ट्र के रूप में हम कामयाब हुए हैं और विश्व बंधुत्व की अपनी भूमिका को चरितार्थ किया है। भारत के जनगण ने एक श्रेष्ठ राष्ट्र और श्रेष्ठ समाज बनाने का संकल्प लिया है और अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक बड़ी दूरी तय की है। हमने आत्मनिर्भर भारत का सपना संजोया, समवेत प्रयास किये और संकल्प के साथ उसे पूरा भी किया। कुलपति प्रो. शुक्ल विश्वविद्यालय में 72वें गणतंत्र दिवस समारोह के अवसर पर ध्वजारोहण के बाद उपस्थित शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मियों व विद्यार्थियों को संबोधित कर रहे थे।
प्रो. शुक्ल ने कहा कि संविधान लागू होने के बाद देश की प्रभुसत्ता जनगण के पास आयी । इन 70 वर्षों में कोरोना महामारी के संकट का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि 211 देशों में फैली इस महामारी ने जब वैश्विक संकट खड़ा कर दिया था तब हम सामने आए और हमने दवा और इस महामारी के लड़ने के लिए जरूरी अन्य सामग्री विभिन्न देशों तक पहुंचायी।
कुलपति ने कहा कि हम शांति की रक्षा के लिए दुनिया में अपनी भूमिका को चरितार्थ कर रहे हैं। सपने अभी बाकी है और हमें श्रेष्ठ से श्रेष्ठतम् स्थान तक पहुंचना है। उन्होंने कहा कि देश के संकट के समय कश्मीर से कन्याकुमारी और कच्छ के रण से अरूणाचल प्रदेश तक का भारतीय जन एक साथ खड़ा है।
नई शिक्षा नीति का उल्लेख करते हुए प्रो. शुक्ल ने कहा कि इस नीति में मातृभाषा में शिक्षा का प्रावधान आत्मिक और चैतसिक उन्नति को साकार करने का संकल्प है जो पूरी दुनिया के लिए एक नई बात है। नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में विश्वविद्यालय की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि संगणक, विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में अध्ययन और अनुसंधान के लिए एक चुनौती है कि हिंदी और भारतीय भाषाओं को विज्ञान एवं तकनीक के साथ किस प्रकार संयोजित किया जाए।
विश्वविद्यालय की महत्वाकांक्षी पहल ‘भारतीय अनुवाद संघ’ की स्थापना का उल्लेख करते हुए प्रो. शुक्ल ने कहा कि इस योजना की सभी ने प्रशंसा की है। 64 भाषाओं के 1100 अनुवादकों को जोड़कर विश्वविद्यालय ने एक नया मुकाम हासिल किया है।
कोरोना कालखंड में विश्वविद्यालय की उपलब्धियों पर प्रकाश ड़ालते हुए कुलपति ने कहा कि इस काल में लाकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए विश्वविद्यालय का परिसर कोरोना मुक्त रहा। इस दौरान विश्वविद्यालय ने हिंदी भाषा के माध्यम से दस अंतरराष्ट्रीय वेबिनार अत्यंत सफल तरीके से सम्पन्न किये। उन्होंने आश्वस्त किया कि हिंदी को एक संपर्क, संवाद और अनुसंधान की भाषा बनाने के संकल्प को हम तेजी से पूरा कर रहे हैं। हिंदी को उच्च शिक्षा और अनुसंधान की भाषा बनाने का आहवान करते हुए उन्होंने कहा कि इस कार्य में शिक्षकों के साथ-साथ गैर-शैक्षणिक कर्मियों की भी भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने विश्वास जताया कि कठिन परिस्थितियों और सीमित संसाधनों के बावजूद भी हम संकल्प के साथ अपने लक्ष्यों को पूरा करने में कामयाब होंगे।
प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने अपने संबोधन के पहले अनुवाद एवं निर्वचन विद्यापीठ भवन के प्रांगण में ध्वजारोहण किया। सुरक्षा कर्मियों ने राष्ट्रगान की धुन बजायी और परेड की। इस अवसर पर मंच पर प्रतिकुलपति द्वय प्रो. हनुमानप्रसाद शुक्ल और प्रो. चंद्रकांत रागीट, कुलसचिव कादर नवाज़ ख़ान, अधिष्ठाता प्रो. मनोज कुमार, प्रो. नृपेंद्र प्रसाद मोदी, प्रो. कृपा शंकर चौबे, प्रो. अवधेश कुमार उपस्थित थे। ध्वजारोहण से पहले कुलपति प्रो. शुक्ल ने गांधी हिल्स पर महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया।
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