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कलेक्टर डॉक्टर सारांश मित्तर द्वारा घोषित 9 दिन के लॉकडाउन को 9 दिन की नवरात्र पूजा की तरह पूरे मन से मानें बिलासपुरवासी ,, लॉकडाउन को सफल बनाना केवल प्रशासन और पुलिस की ही नहीं हम सब बिलासपुर वाल़ों की भी है जिम्मेदारी ,,

कलेक्टर डॉक्टर सारांश मित्तर द्वारा घोषित 9 दिन के लॉकडाउन को 9 दिन की नवरात्र पूजा की तरह पूरे मन से मानें बिलासपुर के लोग ,,

लॉकडाउन को सफल बनाना केवल प्रशासन और पुलिस की ही नहीं हम सब बिलासपुर वाल़ों की भी है जिम्मेदारी ,,

बिलासपुर // बिलासपुर में कोरोनावायरस के संक्रमण की बढ़ती रफ्तार को रोकने के लिए जिला कलेक्टर डॉ सारांश मित्तर द्वारा 23 जुलाई से 31 जुलाई तक पूरे 9 दिनों के सख्त लाकडाउन की घोषणा की गई है। यह एक संयोग ही है कि नवरात्र की पूजा भी 9 दिनों की होती है और डाक्टर सारांश मित्तर ने बिलासपुर नगर निगम सीमा के भीतर सख्त लॉकडाउन भी 9 दिनों का ही लागू किया गया है। बिलासपुर के लोग नवरात्र पूजा के प्रेमी माने जाते हैं। यहां चैत्र और क्वांर दोनों ही नवरात्रों पर हजारों हजार लोग घरों में रहकर उपवास और पूजा आराधना के साथ अपने परिवार और समाज की खुशहाली के लिए व्रत किया करते हैं। जिला प्रशासन द्वारा 9 दिन के लिए लागू किया गया लॉकडाउन भी कोरोनावायरस के संक्रमण के खिलाफ एक तरह का 9 दिनी व्रत ही है।

जिस तरह नवरात्रि की पूजा आराधना के अपने नियम और उप-नियम होते हैं। उसी तरह नौ दिनी लॉकडाउन के भी अपने नियम और उप नियम घोषित हैं। जैसे नवरात्र पूजा में पूरे 9 दिन नियम धरम का पालन करने से हमारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। ठीक उसी तरह 9 दिन और नव-रात्रि तक पूरे मनोयोग से लॉक डाउन का पालन करने पर कोरोनावायरस से मुक्ति की हमारी और हमारे प्रशासन की मनोकामना भी अवश्य पूरी होगी। इसमें भी हमें अपने मन से ही लॉकडाउन के नियमों का पालन करने की शपथ लेनी चाहिए। यह अच्छी बात नहीं है कि हमको हमारे परिवार को और बिलासपुर शहर को कोरोनावायरस कोविड-19 के संक्रमण से बचाने के लिए पुलिस को प्रशासन को डंडा फटकारना पड़े। हमें समझना चाहिए कि चौक-चौराहों पर दिन रात हमारे लिए चौकसी कर रही पुलिस और उसकी अगुवाई कर रहा प्रशासन सिर्फ और सिर्फ हमारी सुरक्षा के लिए ही अपना दिन का चैन और रातों की नींद समर्पित कर रहा है ।

लॉकडाउन वन में बिलासपुर में प्रशासन की मेहनत और मशक्कत के कारण ही “बिलासपुर” बहुत हद तक कोरोनावायरस के संक्रमण से महफूज रहा। लेकिन छूट मिलते ही हमारी लापरवाहियों ने इसे फिर से चिंताजनक स्थिति तक बढ़ा दिया। हालांकि और शहरों के मुकाबले बिलासपुर अभी भी बहुत हद तक संक्रमण की दुधारी तलवार के वार से बचा हुआ है। लेकिन यह तय है कि अगर हमने पुलिस और प्रशासन की बात नहीं मानी। और 9 दिनों के लॉक डाउन के दौरान नौ दिनी नवरात्र पूजा की तरह नियमों-उप नियमों का पालन नहीं किया तो महाराष्ट्र के कई शहरों की तरह(जहां श्मशानों में अंतिम क्रिया के इंतजार में लाशों के ढेर लग रहे हैं) हमारा हाल भी बेहाल हो सकता है। हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि जो कोरोनावायरस मात्र कुछ हफ्तों में चीन के वुहान शहर से निकलकर पूरी दुनिया को अपने जानलेवा जबड़ों में जकड़ सकता है। उसे हमारे घरों के दरवाजे पर दस्तक देने में कितनी देर लगेगी..?

यह बात भी तकरीबन साबित हो चुकी है कि “केवल और केवल”सोशल फिजिकल डिस्टेंसिंग के साथ चेहरे पर मास्क लगाने तथा हाथ़ों को बार-बार साबुन अथवा सैनिटाइजर से धोने मात्र से इस घातक वायरस से सुरक्षित रहा जा सकता है। और क्योंकि लॉकडाउन वन के बाद मिली छूट के दौरान हमने इन मामूली सी हिदायतों का भी पालन नहीं किया..केवल इसलिए ही आज यह खतरनाक ढंग से अपने हमारे अपने शहर में भी पैर पसारता दिख रहा है। यह साफ दिखाई दे रहा है कि महामारी से भी बड़ी महामारी बनते दिख रहे इस संकट से निपटने के लिए जिला प्रशासन ने जो नौ दिनी लॉकडाउन घोषित किया है। वह हमारे लिए कोरोना की रीढ पर निर्णायक प्रहार करने का और उससे पूरे बिलासपुर को सुरक्षित रखने का एक अंतिम और रामबाण उपाय है। और हर रामबाण दवा के साथ कुछ परहेज जरूरी रहते हैं।

लॉकडाउन के लिए कलेक्टर द्वारा घोषित नियम कायदे भी एक तरह से परहेज जैसे ही हैं। और अगर हमने इन नियम कायदों का पालन करते हुए खुद को अपने-अपने घरों में महफूज नहीं रखा.तो कोरोना के खिलाफ प्रशासन द्वारा लॉकडाउन के रूप में बिलासपुर को दी गई रामबाण की दवा भी बेकार हो सकती है। इसलिए हमें हर हाल में प्रशासन की बात को ब्रह्म वाक्य की तरह मानकर लॉकडाउन के सभी नियमों का पालन करते हुए अपने अपने घरों में 9 दिन रहना होगा। कायदे से बिलासपुर के लोगों को लॉक डाउन के इन 9 दिनों को कोरोनावायरस कोविड-19 के खिलाफ सभी मनोकामनाएं पूरी करने वाला नवरात्र व्रत ही मानना चाहिए। अगर हम अपने स्वयं से, अपने परिवार से, और अपने समाज तथा अपने शहर से वाकई प्रेम करते हैं…. तो हमें 23 जुलाई से 29 जुलाई तक के पूरे 9 दिन इनके नाम पर समर्पित कर देने चाहिए। हमारा यह समर्पण ही हमको, हमारे परिवार को और हमारे समाज तथा शहर को कोरोनावायरस के संक्रमण से बचा सकता है।

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