कमलेश शर्मा
बिलासपुर // सरकार ने ट्रांस जेंडरोंके साथ होने वाले आपराधों एवम भेदभाव को समाप्त करने और उनके अधिकारों के संरक्षण के लिए दिसंम्बर 2019 में “ट्रांन्स जेंडर अधिनियम 2019” पारित किया है। इस अधिनियम के तहत यदि कोई भी व्यक्ति उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुचाने वाले शब्द, गाली, उंन्हे बंधक बना कर मजदूरी कराने सहित अन्य कृत्य होने पर कम से कम 6 माह और अधिकतम 2 वर्ष की कैद व् अर्थ दंड की सजा हो सकती है।

मंगलवार को इस संबंध में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के एडीआर भवन में ट्रांस जेंडर सम्मेलन आयोजित किया गया। प्राधिकरण के अध्यक्ष एन डी तिगाला ने उनके अधिकारों व् अधिनियम के सम्बन्ध में उंन्हे विस्तार से जानकारी दी। इस अवसर पर डी पी कालेज के डॉ पी एल चंद्राकर, डॉ केके शुक्ला, टी आर पटेल व साजी थॉमस ने ट्रांस जेंडर की वर्तमान सामाजिक समस्या के संबंध जानकारी दी। ट्रांस जेंडर संवेदन शीलता को लेकर पारित अधिनियम “हमर अगन” योजनान्तर्गत विशेष जागरूकता लाने का कार्य किया जा रहा है। लीगल एड के अध्यक्ष श्री तिगाला ने अपने संबोधन में कहा कि ट्रांस जेंडर समाज का महत्वपूर्ण अंग है, इनका पूर्व काल से सम्मान होता आया है, वर्तमान में भी इनकी भूमिका सराहनीय है। आम नागरिकों के समान इन्हें भी अधिकार है। नये अधिनियम में इनके साथ होने वाले अपराधो पर कड़े दंड का प्रावधन किया गया है। सम्मेलन में 40 से अधिक ट्रांस जेंडर शामिल हुए थे।
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जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव बृजेश राय ने बताया कि इनकी समस्या व् शिकायत के निराकरण हेतु लीगल एड क्लिनिक की स्थापना की जायेगी। इसके साथ कुछ ट्रांस जेंडरों ने लीगल वालिंटियर बनने के लिये आवेदन दिया है। इन्हें प्रशिक्षित किया जायेगा।
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