बिलासपुर // राष्ट्रीय पुस्तक न्यास द्वारा आयोजित 9 दिवसीय पुस्तक मेले का उद्घाटन मंगलवार को लाल बहादुर शास्त्री हायर सेकेण्डरी स्कूल मैदान बिलासपुर में हुआ। इस मेले में देश भर के 40 प्रकाशकों की हजारों पुस्तकें उपलब्ध हैं।
पुस्तक मेले के उद्घाटन अवसर पर कलेक्टर डॉ.संजय अलंग ने कहा कि पुस्तकों में बहुत शक्ति है, जो आपको साक्षर तो करती ही है, साथ ही इसकी खुशबू भी आनंदित करती है। पुस्तकें अनंत है उनमें जिनता डूबेंगे उतना ही आगे बढ़ेंगे। पुस्तकें आपको ही नहीं, बल्कि आपके बच्चों को भी संस्कारित करती है। कलेक्टर ने कहा कि राष्ट्रीय पुस्तक न्यास प्रकाशन के संदर्भ में इन दिनों बेहद सक्रिय है। बिलासपुर को पुस्तक मेले के आयोजन हेतु चुनने के लिये उन्होंने न्यास के अध्यक्ष व निदेशक को साधुवाद दिया।
इस अवसर पर पंडित सुंदरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर वंशगोपाल सिंह ने बताया कि ऐसे आयोजन से पुस्तकधर्मिता के प्रति एक अलख जगती है। रचनाकार जुड़ते हैं, युवा पीढ़ी में उत्सुकता जगता है। पुस्तकें आपको बेहतर इंसान बनाने के लिये आमंत्रित करती हैं। अटल बिहारी वाजपयी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर गौरीदत्त शर्मा ने कहा कि यह पुस्तक मेला पाठकों में एक संस्कार विकसित करेगा। प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के बावजूद पुस्तकों की महत्ता में कोई कमी नहीं आई है। आज इंटरनेट के युग में भी पुस्तकें बेहतर विकल्प हैं। सभी की रूचि के अनुरूप पुस्तकें इस मेले में मौजूद है। ये पाठकों को लक्ष्य के करीब ले जायेंगी।
छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ.विनय कुमार पाठक ने अपने वक्तव्य में कहा कि संस्कारधानी बिलासपुर में एनबीटी का पुस्तक मेला सार्थक परिणाम देगा। पुस्तकें ही मनुष्य को संस्कारित करती है। भाषा हमें सामथ्र्यवान बनाती है।
राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के सहायक निदेशक श्री सुभाशीष दत्ता ने बताया कि बिलासपुर में दूसरी बार पुस्तक मेला आयोजित हो रहा है। जिसमें हजारों की संख्या में पुस्तकें प्रदर्शित की गयी है। कई प्रदेशों के प्रकाशक भागीदारी कर रहे हैं।
कार्यक्रम का संचालन एनबीटी हिन्दी के संपादक व छत्तीसगढ़ के नोडल अधिकारी डॉ.ललित किशोर मंडोरा ने किया। उन्होंने कहा कि न्यास विगत 60 वर्षों से अधिक समय से पुस्तक उन्नयन की दिशा में अग्रसर है तथा भारत सहित विदेशों में आयोजित पुस्तक मेलों में प्रतिनिधित्व करता है।
उद्घाटन कार्यक्रम में स्थानीय बुद्धिजीवी, गणमान्य नागरिकों के अलावा स्कूली बच्चे बड़ी संख्या में उपस्थित थे। मेले में सभी अतिथियों का स्वागत न्यास की परंपरा के अनुरूप पुस्तकें भेंटकर किया गया।
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