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राशन दुकान घोटाला : संघ अध्यक्ष ऋषि उपाध्याय पर कार्रवाई, दुकान निलंबित…सिस्टम सिंडीकेट का भी खुलासा…

बिलासपुर, जुलाई, 312025

राशन दुकान घोटाला : संघ अध्यक्ष ऋषि उपाध्याय पर कार्रवाई, दुकान निलंबित…सिस्टम सिंडीकेट का भी खुलासा…

राज्य के सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) को कलंकित करने वाले चावल घोटाले का बड़ा चेहरा आखिर सामने आ ही गया। सरकारी चावल की कालाबाजारी में लिप्त पाए गए राशन विक्रेता संघ के अध्यक्ष ऋषि उपाध्याय पर खाद्य विभाग ने बड़ी कार्रवाई करते हुए उनकी राशन दुकान को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। मामला मगरपारा की जय महालक्ष्मी महिला स्व सहायता समूह की उचित मूल्य दुकान से जुड़ा है, जहां चावल के बदले हितग्राहियों से जबरन नगद रकम दी जा रही थी।

वीडियो वायरल होने के बाद विभाग ने जांच की, जिसमें अनियमितताएं पाई गईं। अध्यक्ष सत्यशीला उपाध्याय, सचिव पुष्पा दीक्षित और विक्रेता सहायक ऋषि उपाध्याय को कारण बताओ नोटिस जारी हुआ था।

हालांकि जवाब प्रस्तुत किया गया, लेकिन विभाग ने उसे असंतोषजनक मानते हुए, “छत्तीसगढ़ सार्वजनिक वितरण प्रणाली नियंत्रण आदेश 2016” के अंतर्गत दुकान को सस्पेंड कर दिया है।

आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की धारा 3/7 के तहत मामला गैर-जमानती अपराध की श्रेणी में आता है। विभाग ने इन पर कड़ी कार्रवाई की अनुशंसा की है। संघ के पदाधिकारियों ने भी कृत्य को गंभीर मानते हुए कार्रवाई को सही ठहराया है।

सूत्रों के अनुसार, उपाध्याय विभागीय अधिकारियों से साठगांठ कर अन्य दुकानदारों को भी कालाबाजारी के लिए प्रेरित करता था। खाद्य विभाग जल्द ही क्षेत्र में दूसरी दुकान खोलकर वैकल्पिक व्यवस्था करेगा।

तालपारा की एक अन्य दुकान में भी ऐसा ही मामला सामने आया था, जहां संचालक गोविंद नायडू ने राशन के बदले नगद लेते वीडियो में दिखा। इस पूरे मामले ने जिलेभर में PDS सिस्टम की साख पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब जनता की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि जिला प्रशासन और खाद्य विभाग इस घोटाले में और कितनों पर शिकंजा कसता है।

सिडिकेट सिस्टम का खुलासा

खाद्य विभाग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि जिले में एक संगठित सिडिकेट सक्रिय है, जो राशन दुकानों से चावल एकत्र कर उसे खुले बाजार, बड़े दुकानों और फिर राइस मिलों के जरिए खपाता है। यानी गरीबों का राशन, धन्नासेठों की कमाई में तब्दील हो रहा है।

 

 

 

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Lokesh war waghmare - Founder/ Editor