बिलासपुर, नवंबर, 082025
संघ की शताब्दी में मंचित होगा “युगप्रवर्तक डॉ. हेडगेवार” — मुंबई के 40 कलाकार करेंगे ऐतिहासिक नाट्य प्रस्तुति
बिलासपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के शताब्दी वर्ष के अवसर पर संस्थापक डॉ. केशव बलीराम हेडगेवार के जीवन पर आधारित भव्य नाट्य मंचन “युगप्रवर्तक डॉ. हेडगेवार” का आयोजन बहतराई स्थित स्टेडियम में किया जा रहा है। मुंबई के 40 कलाकारों की यह टीम डॉ. हेडगेवार के जीवन के प्रेरक प्रसंगों को सजीव मंच पर उतारेगी। यह प्रस्तुति आरएसएस के शताब्दी समारोह का प्रमुख आकर्षण होगी।
शनिवार को बिलासपुर प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस वार्ता में संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी डॉ. विनोद तिवारी, डॉ. ललित माखीजा, प्रफुल्ल शर्मा और कार्यक्रम संयोजक पूर्णेंदु भट्ट उपस्थित थे। डॉ. तिवारी ने बताया कि यह नाट्य प्रस्तुति सवा दो घंटे की होगी, जो शाम 5 बजे से प्रारंभ होगी। इसमें डॉ. हेडगेवार के जीवन के विभिन्न संघर्षों, उनके संगठनात्मक दृष्टिकोण और हिंदू समाज के पुनरुत्थान की प्रेरणादायक घटनाओं को कलात्मक ढंग से प्रस्तुत किया जाएगा।
संघ का 100वां वर्ष समाज जागरण के सात आयाम
संघ के शताब्दी वर्ष में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पूरे देश में हिंदुत्व और राष्ट्रभावना के जागरण हेतु सात प्रकार के सामाजिक कार्यक्रम चला रहा है। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य समाज के हर वर्ग, हर ग्राम और कस्बे तक पहुंचकर राष्ट्रविरोधी तत्वों, धर्मांतरण, वामपंथी विचारों और सामाजिक विघटन के खिलाफ जनजागृति फैलाना है।
ये हैं सात प्रमुख कार्यक्रम
1️⃣ मण्डल व बस्ती स्तर पर पथ संचलन
2️⃣ व्यापक गृह सम्पर्क अभियान
3️⃣ हिंदू सम्मेलन
4️⃣ युवा कार्य
5️⃣ सामाजिक सद्भाव बैठक
6️⃣ प्रमुख जन गोष्ठी
7️⃣ अधिक स्थानों पर शाखा विस्तार
साथ ही, समाज में कर्तव्यबोध और राष्ट्रनिष्ठा विकसित करने के लिए “पंच परिवर्तन” का भी अभियान चलाया जा रहा है —
1. पर्यावरण संरक्षण
2. सामाजिक समरसता
3. कुटुंब प्रबोधन
4. नागरिक कर्तव्य बोध
5. ‘स्व’ का भाव
“युगप्रवर्तक डॉ. हेडगेवार” — राष्ट्रभावना का नाट्यविष्कार…
संघ की स्थापना के शताब्दी वर्ष में पहली बार संघ सृजन का नाट्यविष्कार “युगप्रवर्तक डॉ. हेडगेवार” प्रस्तुत किया जा रहा है। इस नाटक के माध्यम से भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के उन निर्णायक क्षणों को उजागर किया जाएगा जब डॉ. हेडगेवार ने हिंदू समाज के पुनर्गठन का बीड़ा उठाया।
नाटक के प्रमुख प्रसंगों में शामिल हैं:
स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान कांग्रेस के गरम दल से लेकर अहिंसावादी नीति तक का संक्रमण काल
हिंदू समाज की जड़ता और उसकी पुनः चेतना की आवश्यकता
डॉक्टर हेडगेवार पर चलाया गया राजद्रोह का मुकदमा
लोकमान्य तिलक, योगी अरविंद और सावरकर से मिली वैचारिक प्रेरणा
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
सुभाषचंद्र बोस के विचारों में सैन्य अनुशासन की प्रेरणा
गुरुजी गोलवलकर से वैचारिक एवं आध्यात्मिक संबंध
संघ के संगठनात्मक विकास की नींव और “युग के दधीची” का राष्ट्रयज्ञ में आत्मदान
नाटक की सृजन टीम
निर्माता: पद्माकर धानोरकर
संरक्षक: श्री रवीजी भुसारी (ज्येष्ठ प्रचारक, आरएसएस)
लेखक: डॉ. अजय प्रधान
दिग्दर्शक: सुबोध सुर्जीकर
संगीत: शैलेश दाणी
दृश्य निर्मिती: अमित धनराज
संयोजक: अरविंद उपाध्ये
मुख्य भूमिका (डॉ. हेडगेवार): सतीश खेकाळे
अन्य प्रमुख कलाकारों में अमोल तेलपांडे, रमेशचंद्र दीक्षित, मंगेश बावसे, विनायक श्रोत्री, प्रशांत मंगदे, मिलिंद हसबनीस, विनय लोहित, गणेश केळकर, विजय हरदास, ऋषिकेश अंबुलकर, मयंक जैन, सचिन चावरे, आनंद बाळापुरे आदि शामिल हैं।
संगठन का सृजन, राष्ट्र का उत्थान…
यह नाट्य प्रस्तुति केवल एक कला कार्यक्रम नहीं, बल्कि राष्ट्र चेतना का संदेश है। यह उन मूल्यों को पुनर्स्थापित करने का प्रयास है, जिन्हें लेकर डॉ. हेडगेवार ने “एक संगठित, सशक्त और जागरूक भारत” का स्वप्न देखा था।
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