बिलासपुर, नवंबर, 20/2025
55 लाख का सौदा, 53.24 लाख लेने के बाद भी आधी जमीन! बाकी 24 डिसमिल दूसरे को बेचने की तैयारी…
बिलासपुर। शहर में जमीन के सौदे को लेकर एक और बड़ा विवाद सामने आया है। टैगोर इंस्टीट्यूट के संचालक सुकांत विश्वकर्मा पर 52 डिसमिल जमीन का सौदा 55 लाख रुपए में करने और लगभग पूरी राशि 53.24 लाख लेने के बावजूद केवल 28 डिसमिल जमीन की ही रजिस्ट्री करने का आरोप लगा है। पीड़ित पक्ष का कहना है कि शेष 24 डिसमिल जमीन को अब वह दूसरे व्यक्ति को बेचने की तैयारी कर रहा है। इस मामले में बुधवार को उसलापुर के मनोज सिंह ने अपने साझेदारों के साथ एसएसपी रजनेश सिंह से शिकायत कर कार्रवाई की मांग की है।
कैसे हुआ सौदा?
उसलापुर साई नगर निवासी मनोज सिंह ने अपने साझेदार विरेन्द्र सिंह परिहार और एक अन्य साथी के साथ सुकांत विश्वकर्मा से 52 डिसमिल जमीन का सौदा 24 जनवरी को 55 लाख में किया था। सौदे के दौरान खसरा नंबर 290/40, 290/41 और 290/123 की जमीन तय की गई। उसी समय दो गवाहों के सामने 20 लाख रुपए अग्रिम दिए गए।
इसके बाद 7 फरवरी को 10 लाख, 10 मार्च को आरटीजीएस से 4 लाख और फिर चेक व आरटीजीएस के माध्यम से अलग-अलग किस्तों में कुल 53.24 लाख रुपए सुकांत विश्वकर्मा को दे दिए गए। इसके बावजूद सुकांत ने केवल 28 डिसमिल भूमि का ही पंजीयन उनके पक्ष में निष्पादित किया।
24 डिसमिल जमीन पर फिर सौदा…
पीड़ित मनोज सिंह का कहना है कि सुकांत शेष 24 डिसमिल जमीन को अधिक कीमत पर बेचने की कोशिश कर रहा है। उनका आरोप है कि इस जमीन का सौदा यदुनंदन नगर निवासी मोहम्मद आदिल और सिटी रियल स्टेट के साथ कर लिया गया है और कभी भी पंजीयन की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जा सकती है।
एसएसपी से शिकायत,, कठोर कार्रवाई की मांग
पीड़ित मनोज सिंह ने एसएसपी से शिकायत की हुआ अपनी शिकायत में बताया कि उन्होंने लगभग पूरी राशि का भुगतान कर दिया है, इसके बाद भी सुकांत विश्वकर्मा बार-बार बहाने बनाकर बाकी जमीन की रजिस्ट्री नहीं कर रहा। शिकायत में यह भी कहा गया है कि यदि शेष भूमि किसी अन्य के नाम पंजीकृत हो गई तो उन्हें अपूरणीय क्षति होगी।
पीड़ितों ने थाना प्रभारी सिविल लाइन को कार्यवाही के लिए निर्देशित कर सुकांत विश्वकर्मा पर आपराधिक प्रकरण दर्ज करने और शेष 24 डिसमिल भूमि का पंजीयन उनके पक्ष में कराने की मांग की है।
पीड़ितों की मांग
शेष 24 डिसमिल जमीन की तुरंत रजिस्ट्री कराई जाए।
सुकांत विश्वकर्मा पर धोखाधड़ी का अपराध दर्ज किया जाए।
दूसरे खरीदार के साथ किए गए संभावित सौदे की जांच हो।
पीड़ितों का कहना है कि पूरी राशि लगभग चुका देने के बाद अब उन्हें जमीन खोने का खतरा है। उन्होंने इसे गंभीर आर्थिक धोखाधड़ी बताते हुए पुलिस से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है।
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