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राज्यपाल तक पहुंचा वरिष्ठ पत्रकार सुशील शर्मा गिरफ्तारी मामला ,, बिलासपुर के पत्रकारों ने भी की आवाज बुलंद ,, जानिए क्या है पूरा मामला !

बिलासपुर // बस्तर बन्धु के संपादक /प्रकाशक, वरिष्ठ पत्रकार सुशील शर्मा की एकतरफा नाजायज गिरफ्तारी का मामला अब धीरे-धीरे अखिल भारतीय रूप लेता जा रहा है। मंगलवार को बिलासपुर के पत्रकारों ने भी अपनी आवाज बुलंद की और उक्त मामले में पुलिस की ज्यादती को लेकर छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनसुइया उइके को अखिल भारतीय पत्रकार सुरक्षा समिति छत्तीसगढ़ की ओर से जोरदार शब्दावली में ज्ञापन सौंपा है, जिसमें वरिष्ठ पत्रकार बस्तर बन्धु के संपादक सुशील शर्मा की गिरफ्तारी का विरोध करते हुए उनके मामले की सूक्ष्म तथा निष्पक्ष जांच करवा कर उनके साथ न्याय करने की अपील की गई है।

यह ज्ञापन बिलासपुर कलेक्टर के माध्यम से महामहिम राज्यपाल को दिया गया है, साथ ही प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भी बिलासपुर कलेक्टर के माध्यम से ज्ञापन प्रेषित किया गया है। ज्ञापन में इस बात का प्रबल विरोध किया गया है कि एक ओर तो छत्तीसगढ़ सरकार पत्रकार सुरक्षा कानून की बात करती है और दूसरी ओर उसकी ही पुलिस छत्तीसगढ़ के पत्रकारों को डराने के लिए सीधे एफआईआर दर्ज कर रही है। बिना सत्य तथ्य जाने बिना किसी जांच के पत्रकारों पर आरोप लगाए जा रहे हैं।

सुशील शर्मा जैसे 45 वर्ष पुराने पत्रकार पर भी ऐसी धाराओं में रिपोर्ट लिखकर बिना जांच गिरफ्तारी कर ली गई है। जिन धाराओं का इस मामले से दूरदराज का भी वास्ता नहीं है। पुलिस की ऐसी हरकत से न केवल छत्तीसगढ़ पुलिस बल्कि छत्तीसगढ़ शासन की मंशा पर भी प्रश्न चिन्ह लग गया है। ज्ञापन में शासन के 2 आदेशों का उल्लेख किया गया है जो कि 2005 तथा 2016 के हैं ,जिनमें स्पष्ट निर्देश हैं कि जब तक पत्रकार सुरक्षा कानून पूर्णतः नहीं बन जाता, तब तक पत्रकारों पर कोई ज्यादती ना करते हुए उनके विरुद्ध जो भी प्रकरण हो या आरोप हो, उनकी जांच पहले उच्च स्तरीय अधिकारियों से करवा ली जाए। स्पष्ट है कि कांकेर में सुशील शर्मा के साथ जो कुछ भी हुआ है, वह सन् 2005 तथा 2016 के उपरोक्त दिशा-निर्देशों का साफ-साफ उल्लंघन है।

ज्ञापन में मांग की गई है कि सुशील शर्मा को गिरफ्तार करने वाले अधिकारी के विरुद्ध जांच कर कार्रवाई की जाए। ज्ञापन अखिल भारतीय पत्रकार सुरक्षा समिति छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद शर्मा गौर के हस्ताक्षर से सौंपा गया है, जिस पर अन्य पदाधिकारियों तथा पत्रकारों के भी हस्ताक्षर हैं।

ज्ञातव्य है कि विगत 20 मई को संपादक सुशील शर्मा को एक महिला अधिकारी की रिपोर्ट पर रायपुर की पुलिस ने कांकेर आकर गिरफ्तार कर मानसिक यातना पहुंचाई थी जोकि सारे भारत में इस प्रकार का पहला मामला है, जिसमें पुलिस ने न तो सत्य जानने की कोशिश की थी और ना न्यायिक क्षेत्र का ही कोई ख्याल किया था।

यही कारण है कि इस घटना की खबर मिलते ही सारे छत्तीसगढ़ के कोने-कोने के पत्रकार बंधु आंदोलित हो रहे हैं तथा पुलिस एवं छत्तीसगढ़ शासन का जोरदार शब्दों में विरोध कर रहे हैं।

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