छत्तीसगढ़ / पोप फ्रांसिस ने रविवार को वेटिकन सिटी में थ्रेसिया को संत घोषित किया ये उपाधि उन्हें मृत्यु के 93 साल बाद मिली है ।
नन मरियम थ्रेसीया को उनके निधन के 93 साल बाद ” संत” की उपाधि दी गयी है। 9 अप्रैल 2000 को सिस्टर थ्रेसिया को जॉन पॉल द्वितीय ने धन्य घोषित किया था । यह किसी भी कैथोलिक नन को संत घोषित करने की शुरुआती प्रक्रिया होती है । मरियम थ्रेसिया ने अपनी अंतिम सांसों तक केरल की लड़कियों की शिक्षा, स्वास्थ्य और उनकी सशक्तिकरण के लिए काम करती रही।
बेहद अमीर परिवार में जन्मी सिस्टर मरियम ने मात्र 8 साल की उम्र में खुद को ईश्वर का समर्पित कर दिया था और व्रत रखने लगी और प्रार्थना करने लगी थी । बचपन से ही उनके दोस्त उन्हें संत कहते थे थ्रेसिया ने 16 साल की उम्र में त्वचा रोग से ग्रसित मरीजो के लिए काम करने लगी थी। 38 की उम्र में नन बनने के बाद उन्होंने 11 साल तक इस पद पर सेवाएं दी ,उन्होने स्थानीय समुदायों के पारिवारिक सम्बन्धों को मजबूत करने और गरीबों की सेवा के लिए काम किया ।
26 अप्रैल 1876 को केरल के त्रिशुर जिले में जन्मी सिस्टर मरियम 50 साल की उम्र में 8 जून 1962 को दुनिया को छोड़ के चली गयी थी । सिस्टर मरियम ने ” होली फैमिली ” नाम की धर्मसभा की स्थापना भी की थी उन्होंने कई स्कूल, होस्टल,अनाथालय और कान्वेंट भी बनवाए और संचालित किये ।
भारत मे अब तक 4 कैथोलिक संत घोषित
भारत मे अब तक 4 कैथोलिक संत हो चुके है ,जिनमे फादर चवारा, नन यूफ्रेसिया, मदर टेरेसा और सिस्टर अल्फोंसा। सिस्टर थ्रेसिया का कैंननाइजेशन ( चमत्कारों को मान्यता देने की धार्मिक विधि ) रोम में हुई थी, पिछले एक हफ्ते से उनके लिए विशेष प्रार्थना की जा रही है।
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