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न्यायधानी में निर्वस्त्र और घायल अवस्था में मिली 65 साल की बुजुर्ग महिला… पत्थर से कुचलकर मारने की कोशिश ?… कानून व्यवस्था पर उठे सवाल… महिला संबंधी मामले में बड़ी लापरवाही…

बिलासपुर, जनवरी, 16/2025

न्यायधानी में निर्वस्त्र और घायल अवस्था में मिली 65 साल की बुजुर्ग महिला… पत्थर से कुचलकर मारने की कोशिश ?… कानून व्यवस्था पर उठे सवाल… महिला संबंधी मामले में बड़ी लापरवाही…

बिलासपुर के सरकंडा थाना क्षेत्र के ईरानी मोहल्ले के पास मंगलवार की सुबह एक महिला नग्न और घायल अवस्था में मिली जिसके सर पर गंभीर चोटे थी ऐसा लग रहा था कि पत्थर से महिला के सिर पर जोर से वार किया गया है। सुबह जब महिला को आस पास के लोगों ने देखा तब वह निर्वस्त्र थी लोगो ने 112 को सूचना दी जिसके बाद मौके पर पहुंची 112 के कर्मियों ने उसे सिम्स अस्पताल भर्ती कराया महिला की स्थिति गंभीर होने के कारण डाक्टरों ने उसे रात को ही रायपुर मेकाहारा रेफर कर दिया। इस घटना से क्षेत्र में दहशत फैली हुई है आखिर जिस महिला के साथ ऐसा जघन्य घटना हुई है वह 65 साल की बुजुर्ग है और अकेले रहती है। महिला के निर्वस्त्र मिलने पर परिजन आशंका जाता रहे है कि उसके साथ दुष्कर्म की घटना घटी होगी। हालांकि इस मामले में पुलिस ने 307 के तहत मामला दर्ज कर एक संदेही को पकड़ा है। जिससे पूछताछ की जा रही है। बुजुर्ग महिला के परिजनों का आरोप है की मामले मे आरोपियों को बचाने के लिए पुलिस अलग खेल खेल रही है।

परिजनों और आसपास के लोगो से मिली जानकारी के अनुसार 65 वर्षीय बुजुर्ग महिला जो पेंशन के सहारे सरकंडा क्षेत्र मे अकेले रहती थी उस पर कुछ लोगो ने जानलेवा हमला कर पत्थर से उसके सिर और छाती पर गंभीर वार कर उसकी हत्त्या करने की कोशिश भी की। मंगलवार की सुबह करीब 8 बजे जब क्षेत्र मे रहने वाले लोगो ने लहुलुहान अवस्था मे महिला को घर के बाहर नग्न अवस्था मे देखा तो इसकी सूचना उनके परिजनों और पुलिस को दी आसपास के लोगो ने दावा किया है की बुजुर्ग महिला के शरीर पर किसी प्रकार का कोई कपड़ा नही था। किसी तरह डायल 112 की गाड़ी घटनास्थल मे होने के बाद भी गंभीर हालात मे आटो के माध्यम से सिम्स अस्पताल मे करीब सुबह साढ़े 9 बजे भर्ती करवाया गया। इलाज के दौरान महिला की हालत गंभीर होने पर उसे रायपुर मेकाहारा रिफर कर दिया गया जहाँ उसकी स्तिथि अभी भी नाजुक बनी हुई है। इस मामले में पुलिस ने 24 घंटे बाद अस्पताल को मेमो भेजा था जिसमें महिला का मेडिकल कराने की बात कही लेकिन रात को ही महिला को रायपुर रेफर कर दिया गया था जिसके कारण मेडिलक नहीं हो पाया। इस घटना को लेकर पुलिस की लापरवाही साफ नजर आ रही है। एक बुजुर्ग महिला  घटनास्थल पर नग्न और घायल अवस्था में मिलने की पुख्ता जानकारी होने के बाद भी थाना प्रभारी ने इस मामले मे धारा 307 के तहत मामला दर्ज किया जिसके कारण महिला सम्बन्धित गंभीर आरोप पर पुलिस की कार्यवाही संदेह के घेरे मे है..?

महिला को मंगलवार की सुबह सिम्स अस्पताल भेजा गया था और मंगलवार को ही रात 9 बजे रायपुर रेफर कर दिया गया था। आज सुबह जब मीडिया को मानवता को शर्मसार करने वाली दरिदंगी और हैवानियत की खबरों की जानकारी लगी तो तो इसकी जानकारी लेने पर थाना प्रभारी निलेश पांडे ने सामूहिक दुष्कर्म के परिजनों के आरोप को सिरे से खारिज करते हुए सिर्फ महिला पर जानलेवा हमले की पुख़्ता पुष्टि की। वही जब मीडिया की टीम ने पूरे मामले मे सिम्स अस्पताल जा कर प्रबन्धन से बात की तो चौकाने वाला खुलासा हुआ है। सिम्स प्रबन्धन का कहन है कि महिला को मंगलवार की रात ही उसकी हालत को देखते हुए रायपुर के मेकाहारा रिफर् कर दिया गया है। मीडिया संस्थानों को बुजुर्ग महिला से सामूहिक अनाचार की घटना मे दिलचस्पी को देखते हुए थाना प्रभारी निलेश पांडे ने पुलिस की लापरवाही को दबाने के लिए आनन फानन मे करीब 2 बजे के आसपास अस्पताल मे मेमो भेज आशंका जताई की महिला के साथ कुछ गलत काम किया गया है।  सिम्स अस्पताल मे भर्ती करवाये जाने के करीब 28 घंटे के बाद आये थाने से आये कागज से सिम्स प्रबन्धन भी असमंजस मे आ गया क्योकि तब तक महिला को रायपुर भेजा जा चुका था। डाक्टर ने भी माना है की पुलिस ने इस मामले मे गंभीर लापरवाही बरती है और यदि परिजनों ने पुलिस से किसी घटना का संदेह जारी किया था तो तत्काल पुलिस को इसपर एक्शन लेना चाहिए साथ ही डाक्टरो ने बातचीत मे जानकारी भी दी की समय बीत जाने के बाद मेडिकली सबूत भी नष्ट हो जाते है और मेडिकली अदालत मे दुष्कर्म साबित करना मुश्किल होता है,। शायद यही कारण होगा की पुलिस ने मामले को दबाने और आरोपियों को बचाने के लिए महिला सबन्धित अपराध होने के बाद भी मेडिकल परीक्षण नही करवाया होगा..?

घटना के 30 घंटे के बाद अकेले पहुँचे जांच अधिकारी.. परिजनों से करवाया सेम्पल इकट्ठा..!

इस घटना की जांच के लिए सरकंडा प्रभारी निलेश पांडे ने वी आई पी ड्यूटी का हवाला देखकर एक सब इंस्पेक्टर को अकेले ही इतने संवेदनशील मामले की जांच करने घटनास्थल पर भेज दिया जांच करने पहुंचे सब इंस्पेक्टर के साथ ना तो फॉरेंसिक टीम थी और ना ही कोई महिला आरक्षक या विवेचक इतना ही नही मामले मे मौके पर मौजूद खून, मिट्टी और सबूतो को भी परिजनों के हाथो से ही उठवाया गया। मीडिया की तहकीकात मे पुलिस की घोर लापरवाही सामने आ ही गई। परिजनों का भी आरोप है की पुलिस ने  अनाचार की आशंका को नजरअंदाज किया अगर समय पर मेमो भेजा गया होता तो महिला का मेडिकल हो जाता और सही जानकारी सामने आ जाती।

 

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Lokesh war waghmare - Founder/ Editor

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