बिलासपुर, नवंबर, 07/2024
UNO मुख्यालय में पदस्थ आनंद पांडे छत्तीसगढ़ अप्रवासी भारतीय सम्मान से हुए सम्मानित… जानिए उनका गांव से अमेरिका तक का सफर…
छत्तीसगढ़ की समृद्ध संस्कृति और पहचान को वैश्विक मंच पर स्थापित करने वाले आनंद पांडे आज प्रदेश के लिए एक गौरवशाली नाम बन चुके हैं। तखतपुर के बेलसरी गांव में जन्मे और न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएनओ) मुख्यालय में महत्वपूर्ण पद पर कार्यरत आनंद पांडे को छत्तीसगढ़ अप्रवासी भारतीय सम्मान से नवाज़ा गया है। यह सम्मान उन अप्रवासी भारतीयों को दिया जाता है, जिन्होंने विदेश में रहते हुए समाज, साहित्य, मानव संसाधन, या आर्थिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया हो।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा…
19 सितंबर 1977 को जन्मे आनंद पांडे का प्रारंभिक जीवन तखतपुर के एक छोटे से गांव बेलसरी में बीता। उनके पिता, दुर्गा प्रसाद पांडे, बाल्को में महाप्रबंधक के रूप में सेवाएं देते थे। बचपन से ही आनंद ने उच्च आकांक्षाएं पालीं और अपनी मेहनत से वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाई। आज 47 वर्षीय आनंद न्यूयॉर्क के किस्सेना बुलेवर्ड में रहते हैं, जहाँ वे संयुक्त राष्ट्र संघ में वित्त प्रभाग, प्रबंधन विभाग, नीति और अनुपालन विभाग में मुख्य इकाई 4, एफएआरएस में कार्यरत हैं।
संयुक्त राष्ट्र में भूमिका…
आनंद पांडे ने अंतरराष्ट्रीय सिविल सेवा परीक्षा में तीसरी रैंक हासिल कर वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अपनी क्षमता का परिचय दिया। वे संयुक्त राष्ट्र में कई महत्वपूर्ण विभागों में कार्यरत हैं, जिनमें अंतरराष्ट्रीय सिविल सेवा आयोग, कानूनी मामलों का कार्यालय, और संयुक्त राष्ट्र संयुक्त कर्मचारी पेंशन फंड शामिल हैं। इसके साथ ही, वे वित्तीय नीति, आंतरिक नियंत्रण, ट्रेजरी और वित्तीय विश्लेषण में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
छत्तीसगढ़ राज्य के विकास में उनकी भूमिका को नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता। वर्ष 2007 में यूएनडीपी मानव विकास पुरस्कार जीतने में उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया। इतना ही नहीं, वे संयुक्त राष्ट्र महासचिव और सीएनएन के साथ संयुक्त कार्यक्रमों का भी सफलतापूर्वक समन्वय कर चुके हैं।
भारतीय संस्कृति और छत्तीसगढ़ के प्रति योगदान…
हालांकि आनंद पांडे आज एक वैश्विक नागरिक हैं, लेकिन उनके दिल में छत्तीसगढ़ और उसकी संस्कृति के प्रति गहरा लगाव है। उन्होंने न्यूयॉर्क में भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए एक “सोसायटी” का गठन किया, जिसे यूएन में भारतीय क्लब के नाम से जाना जाता है। इसके माध्यम से उन्होंने भारतीय सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन किया और छत्तीसगढ़ राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को यूएन जैसे वैश्विक मंच पर प्रदर्शित किया।
आनंद ने छत्तीसगढ़ की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को न केवल संयुक्त राष्ट्र में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रचारित किया। उन्होंने यूएन में छत्तीसगढ़ राज्य की प्रदर्शनी का आयोजन कर वहां की कला, संस्कृति, और परंपराओं को दुनिया के सामने रखा।
सम्मान और पहचान…
छत्तीसगढ़ अप्रवासी भारतीय सम्मान प्राप्त करना न केवल आनंद पांडे के लिए एक व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि यह पूरे छत्तीसगढ़ के लिए गर्व का विषय है। राजधानी रायपुर में आयोजित राज्योत्सव में उपराष्ट्रपति जगदीश धनकड़ ने उन्हें यह सम्मान प्रदान किया। यह सम्मान विशेष रूप से उन अप्रवासी भारतीयों को दिया जाता है, जो विदेश में रहते हुए भी अपनी जड़ों से जुड़े रहते हैं और सामाजिक, साहित्यिक, या आर्थिक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान करते हैं।
व्यक्तिगत जीवन…
आनंद पांडे की सरलता और आत्मीयता उनकी पहचान है। वे भले ही संयुक्त राष्ट्र जैसी प्रतिष्ठित संस्था में महत्वपूर्ण पद पर हों, लेकिन जब भी वे अपने गांव या शहर लौटते हैं, तो अपने परिवार, मित्रों और स्थानीय लोगों से बेहद सहजता और सरलता से मिलते हैं। संयोगवश, दीपावली के अवसर पर आनंद अपने परिवार के साथ बिलासपुर आए थे, जहाँ उन्हें इस सम्मान के बारे में पता चला। उनके इस सम्मानित होने पर उनके परिजनों और मित्रों में खुशी की लहर दौड़ गई।
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