• Fri. Nov 22nd, 2024

News look.in

नज़र हर खबर पर

बिल्हा विधानसभा : हॉट सीट की अपनी अलग तासीर, जहां हर बार बदलता है विधायक… बीजेपी, कांग्रेस ने पूर्व व वर्तमान विधायक पर जताया भरोसा तो आप पार्टी से जसबीर सिंग मैदान में जिनको निर्दलीय से भी कम मिले थे वोट… 

बिल्हा विधानसभा : हॉट सीट की अपनी अलग तासीर, जहां हर बार बदलता है विधायक… बीजेपी, कांग्रेस ने पूर्व व वर्तमान विधायक पर जताया भरोसा तो आप पार्टी से जसबीर सिंग मैदान में जिनको निर्दलीय से भी कम मिले थे वोट…

बिलासपुर, बिल्हा, 14/2023

प्रदेश की हाईप्रोफाइल सीटों में से एक बिल्हा विधानसभा है। ये इसलिए हॉट सीट है, क्योंकि यहां से पूर्व विधानसभा अध्यक्ष धरमलाल कौशिक चुनाव लड़ रहे हैं। वे भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष के अलावा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रह चुके हैं। दूसरी ओर, कांग्रेस ने सियाराम कौशिक पर एक बार फिर भरोसा जताया है। सियाराम ही धरमलाल कौशिक के रास्ते में रोड़ा अटकाते आए हैं। इधर, बात करें दिल्ली में इतिहास बनाने वाली आप पार्टी की तो हाईकमान ने एक बार फिर जसबीर सिंह चावला को मैदान में उतारा है। पिछले चुनाव के नतीजे पर गौर करें तो पता चलता है कि जसबीर सिंह उस समय अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए थे। जसबीर से अधिक एक निर्दलीय प्रत्याशी को अधिक वोट मिले थे।

बिल्हा विधानसभा की तासीर ही अलग है। यहां की जनता हर बार विधायक बदलती रही है। ये अलग बात है कि कमोबेश यहां जिस पार्टी का विधायक चुना जाता है, उन्हें विपक्ष में बैठना पड़ता है। इस बार यहां भाजपा, कांग्रेस, बसपा और आप पार्टी ने अपने प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। पिछली बार जोगी कांग्रेस और बसपा के बीच टाइअप होने के कारण सियाराम कौशिक जोगी कांग्रेस से चुनाव लड़े थे, जो तीसरे नंबर थे। इधर, आप पार्टी ने पुराना चेहरा जसबीर सिंह चावला पर भरोसा जताया है। पिछले चुनाव के नतीजे पर नजर डालें तो पता चलता है कि जसबीर सिंह को महज 4428 वोट ही मिले थे, जबकि उनसे अधिक 4518 वोट निर्दलीय प्रत्याशी मनोज ठाकुर को मिल गए थे। 2018 में मतदान से करीब 7 दिन पहले क्षेत्र में एक हवा चली थी। वह यह कि जसबीर सिंह चुनाव मैदान से हट गए हैं। दरअसल, मदान से सात दिन पहले जसबीर सिंह क्षेत्र से गायब हो गए थे। इस बार भी वही पुरानी चर्चा शुरू हो गई है। जनता कह रही है कि पिछली साल की तरह इस बार भी वही चाल तो नहीं चली जा रही है। जनता को तीसरी पार्टियों के प्रत्याशियों पर ज्यादा भरोसा नहीं है। वह इसलिए, क्योंकि जिस दमखम से भाजपा और कांग्रेस यहां चुनाव लड़ रही है, वह दमखम किसी और पार्टी में नजर नहीं आ रहा है। पब्लिक के मुताबिक हर विधानसभा की जनता चाहती है कि वह उस प्रत्याशी को चुनाव जिताकर विधानसभा भेजें, जिसकी सरकार बने, ताकि क्षेत्रीय समस्याओं को हल कराने में उनका जनप्रतिनिधि कामयाब हो सके।

राजनीतिक इतिहास….

1962 से 1985 तक लगातार कांग्रेस के चित्रकांत जायसवाल ने यहां पर पार्टी का झंडा बुलंद किया, लेकिन 1990 में अशोक राव ने कांग्रेस से बगावत की और जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़कर यहां कांग्रेस के चित्रकांत जायसवाल को मात दी। हालांकि 1993 में अशोक राव दोबारा कांग्रेस में शामिल हो गए और बीजेपी के धरमलाल कौशिक को हराया। 1998 में पहली बार यहां से धरमलाल कौशिक ने बीजेपी का झंडा बुलंद किया, लेकिन 2003 में वे अपनी सीट बचाने में नाकाम रहे। उन्हें कांग्रेस के सियाराम कौशिक ने मात दी।

2008 में धरमलाल कौशिक ने सियाराम कौशिक को फिर से मात दी। 2013 में एक बार फिर कांग्रेस ने सियाराम कौशिक पर भरोसा जताया और वो विधानसभा अध्यक्ष धरमलाल कौशिक को हराने में सफल हुए। इस चुनाव में बीजेपी को जहां 72,630 वोट मिले तो कांग्रेस को 83,598 वोट मिले। इस तरह जीत का अंतर 10,968 वोटों का रहा।

2018 के चुनाव में बदले समीकरण…

2018 के चुनाव में फिर समीकरण बदले। कांग्रेस का दामन छोड़कर सियाराम कौशिक जोगी कांग्रेस से चुनाव मैदान में उतरे, जिसके जवाब में कांग्रेस ने राजेंद्र शुक्ला को अपना प्रत्याशी बनाया। त्रिकोणीय मुकाबले में भाजपा के धरमलाल कौशिक एक बार फिर कांग्रेस और जोगी कांग्रेस को शिकस्त देने में कामयाब हो गए। बीजेपी के धरमलाल कौशिक को 84,431 वोट मिले। वहीं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *