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छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की कथनी और करनी पर भाजपा का हमला, चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी के बाद अडानी विवाद फिर चर्चा में…

बिलासपुर, जुलाई, 23/2025

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की कथनी और करनी पर भाजपा का हमला, चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी के बाद अडानी विवाद फिर चर्चा में…

छत्तीसगढ़ में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पुत्र चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी के बाद प्रदेश की सियासत गरमा गई है। इस गिरफ्तारी के विरोध में कांग्रेस ने मंगलवार को प्रदेशभर में आर्थिक नाकेबंदी कर विरोध-प्रदर्शन किया। वहीं, भाजपा ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोलते हुए उसकी कथनी और करनी पर सवाल खड़े किए हैं।

भाजपा नेता और पूर्व एल्डरमैन मनीष अग्रवाल ने कांग्रेस पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि एक ओर कांग्रेस “अडानी भगाओ, छत्तीसगढ़ बचाओ” का नारा दे रही है, तो दूसरी ओर खुद उनकी ही सरकारों ने अडानी समूह को छत्तीसगढ़ में प्रवेश और खनन की अनुमति दी थी।

पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार पर गंभीर आरोप

मनीष अग्रवाल ने दावा किया कि कांग्रेस की पूर्ववर्ती राज्य सरकार और केंद्र में रही मनमोहन सिंह की सरकार के कार्यकाल में अडानी को छत्तीसगढ़ में कोयला खनन की स्वीकृतियां दी गईं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2010 में हरदेव अरण्य को “नो गो जोन” घोषित किया गया था, लेकिन कांग्रेस के तत्कालीन पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने उसे “गो जोन” में परिवर्तित कर खनन के रास्ते खोल दिए।

23 जून 2011 को तारा परसा ईस्ट और कांटे बेसन कोल ब्लॉक के संचालन का प्रस्ताव भी कांग्रेस सरकार के दौरान ही आया था। उस समय छत्तीसगढ़ और राजस्थान दोनों राज्यों में कांग्रेस की सरकार थी और अडानी समूह को बड़े खदानों का ऑपरेटर नियुक्त किया गया था।

भूपेश सरकार में भी दी गई थीं स्वीकृतियाँ

मनीष अग्रवाल ने कहा कि 16 अक्टूबर 2019 को छत्तीसगढ़ की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने केंद्र को पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए पत्राचार किया था। इसके बाद 31 मार्च 2021 को गारे पेल्मा सेक्टर 2 कोलफील्ड हेतु अनुबंध भी किया गया। इतना ही नहीं, 19 अप्रैल 2022 को पर्यावरण वन स्वीकृति (स्टेज-1) और 23 जनवरी 2023 को (स्टेज-2) के लिए भी सिफारिश केंद्र को भेजी गई।

भाजपा का सवाल — अब क्यों हो रहा विरोध?

भाजपा नेता ने कांग्रेस पर प्रहार करते हुए कहा कि जब अडानी को न्योता देकर छत्तीसगढ़ बुलाया जा रहा था और खदानों के लिए स्वीकृति दी जा रही थी, तब कांग्रेस नेताओं ने “अडानी भगाओ” जैसे नारे क्यों नहीं लगाए। अब जब जांच एजेंसियां कार्रवाई कर रही हैं, तो कांग्रेस इसे राजनीतिक प्रतिशोध बता रही है।

जनता पूछ रही है सवाल

मनीष अग्रवाल ने कहा कि छत्तीसगढ़ की जनता अब कांग्रेस से सवाल कर रही है कि उसकी कथनी और करनी में इतना अंतर क्यों है। एक ओर अडानी का विरोध, दूसरी ओर पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार द्वारा उन्हें दी गई सहूलियतें — यह कांग्रेस की दोहरी नीति को उजागर करता है।

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Lokesh war waghmare - Founder/ Editor
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