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त्योहारों में सोने चांदी के आसमान छूते भाव… क्या है कारण… जानिए सराफा एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष कमल सोनी क्या कहते है…

बिलासपुर, अक्तूबर, 22/2024

त्योहारों में सोने चांदी के आसमान छूते भाव… क्या है कारण… जानिए सराफा एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष कमल सोनी क्या कहते है…

त्यौहार आते ही सोना चांदी कीमतों में फर्क आने लगता है अक्सर दामों में वृद्धि हो जाती है। इस बार भी सोने चांदी के भाव आसमान छू रहे है। एक तरफ जहां सोना 80,600 तो चांदी की कीमत 100000 रू किलो तक पहुंच गई है। आसमान छूते सोने चांदी की कीमत से आम पब्लिक की चिंता भी बढ़ गई है। छत्तीसगढ़ सराफा एसोसिएशन के अध्यक्ष कमल सोनी का कहना है कि वेस्टर्न कंट्री में चल रहे युद्ध और गृह युद्ध के कारण भी सोने चांदी की कीमत में उछाल आ गया है। पिछले एक साल से छिड़े युद्ध एक भयानक रूप लेता जा रहा है, जैसे जैसे युद्ध बढ़ने की खबरें आती है वैसे वैसे नेशनल पॉलिसी के हिसाब से कीमतों में इजाफा देखने को मिलता है, रही बात धनतरेस में सोना चांदी के आम लोगों की खरीददारी में फर्क की तो इसका ज्यादा प्रभाव इसलिए नहीं पड़ता क्योंकि लोग इसे शादी ब्याह और अपने संकट के समय के लिए खरीदकर रखते है। सराफा मार्केट में रौनक बरक़रार रहेगी।

छत्तीसगढ़ सर्राफा एसोसिएशन के अध्यक्ष कमल सोनी के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पश्चिमी देशों में जारी युद्ध और गृह युद्धों का इस उछाल में बड़ा योगदान है। पिछले एक साल से जारी संघर्षों ने वैश्विक बाजार में अस्थिरता पैदा कर दी है। सोना और चांदी को पारंपरिक रूप से सुरक्षित निवेश के रूप में देखा जाता है, और जैसे ही वैश्विक अस्थिरता की खबरें आती हैं, इनकी मांग बढ़ जाती है। इससे कीमतों में वृद्धि होती है। उन्होंने बताया कि जैसे-जैसे वैश्विक स्तर पर संघर्ष और अस्थिरता की खबरें बढ़ती हैं, वैसे-वैसे राष्ट्रीय स्तर पर भी आर्थिक नीतियों में बदलाव देखने को मिलता है। महंगाई और मुद्रा की गिरावट जैसी स्थितियों में भी सोने-चांदी की कीमतें प्रभावित होती हैं। निवेशक अपने पोर्टफोलियो को सुरक्षित करने के लिए इन धातुओं की ओर रुख करते हैं, जिससे बाजार में इनकी कीमतें बढ़ती हैं।

सोना चांदी खरीदना एक परंपरा…

भारत में दीपावली और धनतेरस जैसे त्योहारों के दौरान सोने और चांदी की खरीदारी एक परंपरा मानी जाती है। लोग इस समय पर इन धातुओं को शुभ मानते हुए खरीदते हैं। विशेषकर शादी-ब्याह और संकट के समय के लिए लोग पहले से ही सोने और चांदी को सुरक्षित निवेश के रूप में देखते हैं। इसलिए भले ही कीमतें बढ़ रही हों, फिर भी इन त्योहारों पर सोने-चांदी की मांग में कमी नहीं आती है। बिलासपुर जैसे शहरों में, जहां सोने और चांदी की बड़ी खपत होती है, इस उछाल से व्यापारियों पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा है। कमल सोनी का कहना है कि इस तरह की अस्थिरता से सर्राफा बाजार में मांग कम नहीं होती क्योंकि सोने-चांदी को शादी और अन्य विशेष अवसरों के लिए खरीदा जाता है। त्योहारों के दौरान बाजार में रौनक बरकरार रहती है, और लोग भले ही अधिक कीमत चुकाएं, लेकिन परंपरा और आवश्यकता के कारण खरीदारी करते ही हैं।