बिलासपुर, नवंबर, 06/2024
आदिवासी जमीनों की अवैध खरीद फरोख्त… भूमाफिया का खेल… नियम कायदे दरकिनार… प्रशासन करेगा कार्यवाही.. ? जानिए क्या है मामला…
अभी तक आपने अवैध प्लाटिंग की कई कहानियां सुनी होगी मगर आज हम आपके सामने एक ऐसे भू माफिया की करतूत को बता रहे हैं जो आदिवासी भूमि को ही खरीदता है और आदिवासी ग्राहक को बगैर टीएनसी और नगर निगम की अनुमति के बगैर ही जमीनों को टुकड़ों में बेच देता है। खरीदारों में ज्यादातर शासकीय कर्मचारी होते हैं जो कि अपने परिवार के लोगों के नाम पर बेनामी रूप से इन जमीनों को खरीदते हैं और बाद में डायवर्सन कराकर बेच देते हैं। इस प्रकार वे अच्छी खासी रकम कमाने का जरिया बना रखे हैं। यानी साफ है कि सरकार के आदिवासी नियमों को किस तरह से धता बताया जा रहा है। वह इस मामले से साफ दिखाई देता है। बिना ले आउट, बिना डायवर्सन के जमीनों को खरीदना और बाद में डायवर्सन कराकर बेचना।
यूं तो जमीनों की खरीद फरोख्त के लिए सरकार के नियमों के रजिस्टर में कई कड़े नियम और कायदे कानून है बावजूद इसके बिलासपुर में जो मामला सामने आया है उसमें एक शख्स के द्वारा सरकारी नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई गई है। ताज्जुब तो इस बात पर है कि सरकारी एजेंसियो या यूं कह लें कि जिम्मेदार विभाग पूरी तरह से अनजान बना बैठा है। बिलासपुर के ग्राम बिरकोना का ये पूरा मामला है जिसमें जमीन का मूल खसरा 1259, 1200/1 और 240/2 जहां जमीनों के बेचने और खरीदी में नियमों का कोई पालन नहीं किया गया है। वैसे तो शहर हो या फिर ग्रामीण इलाका, भू माफियाओं के द्वारा किए जाने वाले अवैध प्लाटिंग से लेकर अवैध कब्जे तक की बातें सामने आती रहीं है, लेकिन आज जो हम आपको मामला बताने जा रहे है वह उन सब मामलों से थोड़ा जुदा है। 1259 से लगा 1260 खसरा की सरकारी जमीन को भी इसमें जोड़कर बेच दिया गया है। जो सूची हम तक पहुंची है उसमें आप देखेंगे कि विक्रेता के द्वारा हर महीने आठ से दस उससे भी कई ज्यादा की संख्या में प्लॉट बेचे जा रहे है।
कब होगी कार्यवाही…?
सवाल यही है कि सूची क्रमांक एक से लेकर पैंतीस की संख्या तक में उपलब्ध जमीनों के बिक्री रिकॉर्ड में रकबा से लेकर रजिस्ट्री संख्या तक मौजूद है। लेकिन जिम्मेदार विभाग ने किसी तरह की छानबीन नहीं की है यही वजह से जमीनों के खरीदने और बेचने का सिलसिला जारी रहा।
वैसे तो आय से अधिक संपति की बात हो या फिर बैंक खातों में जरूरत से ज्यादा धन जमा करने का मामला हो हाईटेक जमाने में सरकार की नजर से कोई बच नहीं सकता। कोयला जैसे स्कैम में बड़े बड़े आई ए एस आज सलाखों के पीछे अपनी करनी का फल भुगत रहे है लेकिन न जाने कि सरकार की नजर से ये मामला अब तक क्यों बचा हुआ है। अब देखिए उस पूरी सूची को
सूची…
इसे देखने के बाद आप क्या कहेंगे कि ऐसे भू माफिया पर आखिर किसकी दया दृष्टि काम कर रही है। इतना सब होने के बाद भी कार्यवाही अब तक क्यों नहीं हुई। देखना होगा…. कि इस मामले में सरकार की नजरें कब टेढ़ी होगी…???
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