राजस्व अधिकरियों की सांठगांठ से भूमाफिया खेल रहे अवैध प्लाटिंग का खेल … शासन को हो रहा करोड़ो के राजस्व का नुकसान … राजस्व अधिकारी, पटवारी शिकायत के बाद भी बैठे है मौन …

बिलासपुर // ज़िले में भूमाफियाओं और राजस्व अधिकारियों, पटवारियों की आपसी सांठगांठ की कहानी तो अक्सर सुनने को मिलती है , वही राजस्व विभाग और उसके अधिकारी कर्मचारी इस पर लाख दावे करते रहते है कि उनके क्षेत्र में सभी कार्य जैसे प्लॉटिंग, नामांतरण, सीमांकन, फौती उठाना,ऑन लाईन डीएससी आदि राजस्व नियमो के तहत किया जा रहा है लेकिन ऐसा होता कही नजर नहीं आता ।

ऐसा ही एक शिकायत पत्र जो राजस्व अधिकारियों के दावों की पोल खोल रहा है , शिकायत पत्र जो जनहित में लगाया गया है । जिसे तहसीलदार और एसडीएम बिलासपुर के नाम पर दिया गया है और आवेदन पत्र में साफ तौर से इस बात का जिक्र किया गया है कि कृषि भूमि को बिना टीएनसी अनुमति, अवैध प्लॉटिंग कर अवैध रूप से विभिन्न टुकड़ों में बेचा गया है और अब गुपचुप तरीके से नामांतरण किये जाने की तैयारी की जा रही है।

शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत पत्र में कहा है कि ग्राम जलसो, तहसील एवं जिला बिलासपुर में पटवारी हल्का नंबर – 19 में जहां पटवारी निखिल सोनी पदस्थ हैं यहां दिल्ली वाले के नाम से जाने जाने वाले सदन सिंह के द्वारा अपने भागीदार, विजय जैन, घनश्याम कुशवाहा एवं लोकेंद्र अहिरवार के साथ मिलकर, 22 एकड़ भूमि पर जो कि सदन सिंह के नाम पर राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज है, के द्वारा अवैध रूप से छोटे छोटे विभिन्न टुकड़ों में प्लाट काट कर प्लाटिंग कर बिक्री किया गया है एवं कृषि भूमि पर मिट्टी मुरुम डाल सड़क का भी निर्माण किया गया है जो कि नियम विरूद्ध है । जनहित में लगाये गए आवेदन के अनुसार रेरा के नियमों को ताक में रखकर की गई इस अवैध प्लाटिंग में सभी राजस्व अधिकारियों और कर्मचारियों ने मिलकर शासन को राजस्व की हानि पहुंचाई है।

शिकायत पत्र के अनुसार जिन खसरा नंबरों की बिक्री की गई है वह खसरा नंबर निम्नलिखित है- 856 /6 में से, 856/1/क, 844, 940/2, 935, 946/2, 932, 938 इन खसरों के द्वारा और कुछ और विभिन्न खसरों के द्वारा, सदन सिंह पिता स्व. राम नगीना सिंह, के द्वारा 50 के लगभग टुकड़ों में राजस्व के नियमों की अनदेखी करते हुए एवं ग्राम एवं नगरी निवेश की अनुमति के बिना प्लाटिंग करके बिक्री किया गया है। इसमें पटवारी एवं नायब तहसीलदार की भूमिका संदिग्ध है। क्योंकि इन खसरों का नामांतरण भी जारी है , यदि इसे रोका नहीं गया तो इन भूमि के टुकड़ों को खरीदने वालों को किसी भी प्रकार की सुविधा नहीं मिलेगी और भविष्य में इस क्षेत्र का विकास करने की जिम्मेदारी शासन और प्रशासन पर आ जायगी।इन खसरा नंबर की भूमियों को बिक्री सदन सिंह के द्वारा स्वयं एवं लोकेंद्र अहिरवार, विजय जैन के द्वारा मुख्त्यार आम बनाकर भी बिक्री किया गया है।

बहरहाल अब राजस्व विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों को ताकीद करते हुए आवेदक नें जनहित में आवेदन 6/7/2020 को सौप दिया है देखने वाली बात यह है कि क्या अधिकारी अब भी कोई कार्यवाही करते हैं या फिर जनहित में लगा आवेदन स्वच्छ भारत अभियान के डस्टबीन में डाल कर अधिकारी जनहित के बजाय स्वहित की सोचेंगे!

पटवारी ने नही दिया प्रतिवेदन …

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार संबंधित हल्का पटवारी निखिल सोनी ने इस बात की शिकायत अभी तक ना तो एसडीएम से और ना ही संबंधित तहसीलदार से की है मतलब उन्होंने अपने ही हल्के क्षेत्र में अवैध प्लाटिंग एवं प्लाटिंग करनें वालों को संरक्षण देकर अपने कर्तव्यों के प्रति लापरवाही बरती है। इस मामले में एसडीएम देवेंद्र पटेल का कहना है कि मुझ तक शिकायत नही आई है शिकायत मिलेगी तो जरूर कार्यवाही की जायेगी ।

फोन नही उठाते पटवारी …

अवैध प्लाटिंग को लेकर हुई शिकायत पर हमने क्षेत्र के पटवारी निखिल सोनी से बात करने कई बार उनके मोबाइल नं. 9399189339 पर सम्पर्क किया पर उन्होंने फोन नही उठाया ।

भूमाफिया सरकार को लाखों, करोड़ो के राजस्व का लगा रहे चुना … शिकायत के बाद भी अब तक नही हुई कार्यवाही …

ज़िले मे भूमाफियाओं के द्वारा अवैध प्लाटिंग का खेल लंबे समय से खेल जा रहा है , जिसकी जानकारी उच्च अधिकारियों को भी है जानकारी और शिकायत होने बाद भी अधिकारियों के द्वारा कार्यवाही ना करना समझ के परे है , बतादे की भूमाफिया किसानों की जमीनों को सस्ते दामो में खरीद कर उसमें अवैध प्लाटिंग कर ऊंचे दामो में बेच मालामाल हो रहे है ,जमीनों पर ये भूमाफिया शासन की बिना अनुमति के अवैध प्लाटिंग कर बेच रहे है, प्लाट खरीदने वालों को ये ऊंचे ऊंचे सब्जबाग दिखाते है , ब्रोशर व कागजों में तमाम सुविधाएँ दर्शाते हैं पर अवैध प्लाटिंग में किसी भी प्रकार की कोई सुविधा ये नही देते , ना पक्की रोड , ना नाली, बिजली जैसी कोई सुविधा उपलब्ध नही होती, प्लाट खरीदने के बाद अक्सर लोग पछतावा करते है और खुद को ठगा हुआ महसूस करते है । अवैध प्लाटिंग से शासन को भी लाखों करोड़ों के राजस्व का नुकसान उठाना पड़ता है । इन मामलों में कई बार शिकायत भी हो चुकी हैं, लेकिन अधिकारियों के कानों में जु तक नही रेंगती, शिकायत होने के बावजूद अब तक किसी पर कोई कार्यवाही नही की गयीं है

Lokesh war waghmare - Founder/ Editor

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