बिलासपुर // अपीली न्यायालय ने मनियारी नदी के तेज बहाव में पर्यटकों को डूब कर मरने के लिए छोड़ कर भागने वाले नाविक की अपील खारिज कर दो वर्ष सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। 16 अगस्त 2011 को बिल्हा क्षेत्र के ताला एनीकट में मोटर बोट पलटने से कोरबा के मेहता परिवार के तीन लोगो की पानी में डूबने से दर्दनाक मौत हुई थी।
कोरबा निवासी शैलेश मेहता 16 अगस्त 2011 को परिवार सहित बिल्हा क्षेत्र में स्थित पर्यटन स्थल ताला घूमने आए थे। यहां सभी ने मनियारी नदी में बोटिंग करने का निर्णय लिया। सुबह 11 बजे मोटर बोट चालक चन्दन निषाद पिता धनीराम निषाद, पर्यटन के लिए आऐ शैलेश मेहता, शेलेन्द्र मेहता, रेखा मेहता, रविकांत, सुभाष मेहता, अमृता मेहता सहित 7-8 लोगो को मोटर बोट में बैठा कर बोटिंग कराने नदी में ले गया। कुछ दूर जाने के बाद बोट का इंजन बंद हो गया। चालक चंदन ने इंजन स्टार्ट करने प्रयास किया किन्तु इंजन में पेट्रोल ख़त्म होने के कारण वो चालू नही हुआ। इस बीच बोट मनियारी नदी के बहाव में फस गयी। चालक ने चप्पू चला कर बोट को किनारे लाने का प्रयास किया, इसमें सफल नही होने पर वह पर्यटकों को पानी में डूबकर मरने के लिए छोड़कर पानी में कूद गया और तैरकर अकेला बाहर आगया। उधर मोटरबोट तेजी से बहते हुए मनियारी नदी एनीकट में उस स्थान में पहुच गयी जहाँ वाटर फाल का निर्माण होता है और वहां बोट पलट गयी। दुर्घटना में डूबने से शैलेश मेहता, शेलेन्द्र मेहता व् रेखा मेहता की मौत हो गई। मनियारी नदी में मोटर बोट पलटने से पर्यटकों की डूबने की सूचना मिलते ही बिल्हा ने पुलिस गोताखोरों के साथ मौके में पहुच कर पानी में बहे लोगो की तलाश की। उसी दिन देर शाम तक एनीकट से एक शव बरामद हो पाया। दूसरे दिन एक और लाश मिली एवं चौथे दिन तीसरी लाश भी मिल गई। बिल्हा पुलिस ने विवेचना उपरान्त मोटर बोट चालक चंदन निषाद के खिलाफ धारा 280, 304 ए के तहत बिल्हा व्यवहार न्यायालय में चालान पेश किया। व्यवहार न्यायाधीश ने दोष सिद्ध होने पर अक्टूबर 2018 को मोटर बोट के चालक चन्दन को धारा 280 में 6 माह 1000 रु, धारा 304 ए में 2 वर्ष सश्रम कारावास व् 1000 रु अर्थदण्ड की सजा सुनाई। सजा के खिलाफ उसने सत्र न्यायालय में अपील की। अपीली अदालत ने जलयान को उतावलेपन से चलाकर किसी के जीवन को संकट में डालने के तहत धारा 280 में सुनाई गई सजा को अपास्त करते हुए धारा 304 ए में दी गई 2 वर्ष के सश्रम कारावास व् 1000 रु अर्थदण्ड के सजा की पुष्टि कर आरोपी की अपील को ख़ारिज किया है।
सजा का आधार …
न्यायालय ने चालक द्वारा मोटर बोट में सवार लोगो को बचाव के लिये लाईफ जैकेट नही दिया।, बोट में टियूब तकनही रखने और बोट को नदी में ले जाने से पहले ईंधन की जांच नही करने को सजा का आधार माना। आरोपी अगर पहले ही ईंधन जांच लेता तो यह दुर्घटना नही होती।
प्रशिक्षित नही था नाविक …
न्यायालय ने मामले में पथरिया जनपद पंचायत के सीईओ डॉ सच्चिदानंद मिश्रा का बयान दर्ज किया था। सीईओ ने अपने बयान में कहा कि शासन की योजना के तहत पंचायत को मोटर बोट खरीदने के लिये राशि स्वीकृत की गई थी। कार्यालय में रुद्राक्ष नाम के संस्थान का पंजीयन कराकर मोटर बोट का संचालन किया जा रहा था। कार्यालय ने लिखित में मोटर बोट चलाने के लिये किसी को अनुमति नही दी है। चालक चन्दन प्रशिक्षित नही था। वह अनधिकृत रूप से मोटर बोट चला रहा था।
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