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बाल दिवस पर डीआईजी रतनलाल डांगी ने अभिभावकों को दिया संदेश, बच्चों को अच्छे संस्कार देना भी राष्ट्र सेवा है ।

बाल दिवस पर डीआईजी रतनलाल डांगी ने सभी बच्चो को शुभकामनाएं और पालकों के नाम एक संदेश दिया है, संदेश में कहा है कि आप ही देश एवम् परिवार के भविष्य हो। आपका जन्म किसी ना किसी उद्देश्य से हुआ है । लेकिन उस उद्देश्य की प्राप्ति तब तक नहीं कर सकते जब तक माता- पिता एवम देशवासी अपना फर्ज अच्छे से नहीं निभाते। बच्चे केवल माता- पिता की संम्पति नही है, बल्कि वो राष्ट्र की भी संपत्ति है।बच्चो को अच्छे संस्कार देकर योग्य नागरिक बनाना भी राष्ट्र सेवा है। ये संदेश दिया है डीआईजी रतनलाल डांगी ने ।

आजकल ज्यादातर माता-पिता बच्चों पर परीक्षा में ज्यादा से ज्यादा अंक लाने पर दबाव डालते हैं । जबकि उनको उसके सम्पूर्ण विकास पर ध्यान देने की जरुरत हैं । यह प्रवृति बच्चों के लिए घातक सिद्ध हो रही है । जो बच्चें अपने अभिभावकों की आकांक्षा पर खरे नहीं उतरते वो दबाव में आत्महत्या जैसा कदम भी उठा लेते हैं । आप केवल बच्चे नही पाल रहे है बल्कि राष्ट्र का निर्माण कर रहे है। अभिभावकों को बच्चों को यह सिखाना चाहिए की जीवन में केवल अंक ही सब कुछ नहीं हैं ।

देश के कई महापुरूष भी विधार्थी जीवन मे औसत ही रहे हैं। बच्चों को यह सिखाना होगा की जीवन कैसे ज़िया जाता हैं । बच्चों की सच्ची शिक्षा घरों से ही शुरू होती हैं । केवल स्कूलों को दोष नहीं दे सकते। हमको भी अपना दायित्व निभाना होगा।बच्चों को प्रेम पूर्ण अनुशासन की आवश्यकता होती है । बच्चो के साथ कभी भी क्रोध न करे लेकिन दृढता के साथ बच्चो का मार्गदर्शन तो करना ही होगा परन्तु उसमे भी प्रेम होना चाहिए । बच्चे कोमल पौधो की तरह होते है ।जिस तरह पौधौ को अच्छी तरह से पूर्ण विकसित होने के लिए उचित देखभाल और कांट-छांट की आवश्यकता होती है ,उसी तरह बच्चो को भी उचित मार्गदर्शन ,प्रेम और समझदारी की आवश्यकता होती है । जो उन्हे केवल माता पिता ही दे सकते है । बच्चो के लालन पालन की जिम्मेदारी माता और पिता को मिलकर निभानी चाहिए । बच्चों को नैतिकता एवम् उचित व्यवहार की शिक्षा उपदेशो से नही बल्कि अपने उदाहरण के द्वारा देनी चाहिए । प्रत्येक बच्चा भिन्न होता है इसलिए प्रत्येक बच्चे को एक अलग व्यक्ति के रूप मे पहचाना जाना आवश्यक है। बच्चे की आवश्यकता देखकर उसी के अनुसार बर्ताव करना चाहिए ।लेकिन प्रेम सब बच्चो के साथ समान रूप से करना चाहिए। अपने बच्चो से बातचीत के लिए समय निकालिए।उनके प्रशनो के उत्तर दीजिए । केवल ‘ऐसा मत करो’ कहने से काम नही चलेगा । बच्चो से अच्छे सम्बन्धो की शुरूआत आरम्भिक आयु मे ही हो जानी चाहिए । बच्चो को जिम्मेदारी की भावना से भी अवगत कराना चाहिए । कम आयु मे ही बच्चो के ध्यान मे यह बात आ जानी चाहिए कि बिना मेहनत के कुछ नही मिल सकता । बच्चो को शराब या ड्रग्स से भी बचाना होगा । बच्चो की संगत कैसे लोगो से है ,माता- पिता को सतर्क रहना चाहिए । बच्चो के लालन- पालन मे पूर्ण सफलता की उम्मीद तभी बनेगी जब माता पिता स्वयं अपना उदाहरण बच्चो के समक्ष रखकर उचित मूल्यो की शिक्षा देगे। बच्चे देश का भविष्य है ।उनके बालमन का ख्याल रखते हुए ही अनुशासन थोपिए ।आपको बचपन मे जो बातें अच्छी नहीं लगती थी वो आपके बच्चों को भी पसंद नहीं आएगी । सतर्क रहिए ,सावधान रहिए । देश को चरित्रवान नागरिक देना हम सब अभिभावकों का दायित्व है।इसे जिम्मेदारी से हम सब मिलकर निभाएं।

रतन लाल डांगी, डीआईजी, छत्तीसगढ़

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