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पटाखा दुकानों के लिए अग्निशमन अधिकारी ने जारी की एडवाइजरी… दुर्घटना रोकने पालन करने दिए निर्देश

बिलासपुर, अक्तूबर, 25/2024

पटाखा दुकानों के लिए अग्निशमन अधिकारी ने जारी की एडवाइजरी… दुर्घटना रोकने पालन करने दिए निर्देश

अग्निशमन अधिकारी सह जिला सेनानी दीपांकुर नाथ ने पटाखा दुकानदारों के लिए एडवाइजरी जारी की है। उन्होंने दीपावली पर्व के दौरान निर्मित स्थायी,अस्थायी संरचना एवं पण्डालों मे संचालित पटाखा दुकानो में निर्धारित सुरक्षा मानकों का पालन करते हुए तथा अग्निशमन यंत्र को रखते हुए सावधानियों को अपनाना सुनिश्चित करने को कहा है। किसी भी तरह की चूक अथवा सुरक्षा का पालन नहीं किए जाने पर संबधित संचालक व दुकानदार स्वयं जिम्मेदार होगें।
जिला अग्निशमन अधिकारी ने कहा कि पटाखा दुकान रिहायशी या फिर बाजार के पास नहीं खोले जायें। पटाखा दुकान का निर्माण किसी भी ज्वलनशील पदार्थ जैसे- कपड़ा, बांस, रस्सी, टेंट इत्यादि का न होकर, अज्वलनशील सामग्री से बने टिन (शेड) द्वारा निर्मित होना चाहिए तथा अग्निमंदक घोल से उपचारित किया होना चाहिए।

पटाखा दुकान एक दूसरे से कम से कम तीन मीटर की दूरी (साईड) पर एवं एक दूसरे के सामने न बनाई जाए। पटाखा दुकानों में प्रकाश व्यवस्था हेतु किसी भी प्रकार के तेल का लैंप, गैस लैम्प एवं खुली बिजली बत्ती का प्रयोग प्रतिबंधित किया गया है। किसी भी पटाखा दुकान से 50 मीटर के अंदर आतिशबाजी प्रदर्शन प्रतिबंधित होना चाहिए। विद्युत तारों में ज्वाइंट खुला नहीं होना चाहिए एवं प्रत्येक मास्टर स्विच में फ्यूज या सर्किट बेकर लगा होना चाहिए, जिससे शार्ट सर्किट की स्थिति में विद्युत प्रवाह अपने आप बंद हो जाए। दुकाने ट्रांसफार्मर के पास न हो और उनके ऊपर से हाई टेंशन पावर लाईन न गुजरती हो।

प्रत्येक पटाखा दुकान में 5 किलोग्राम क्षमता का डीसीपी अग्निशामक यंत्र होना चाहिए। इसकी मास्क क्षमता 6 फिट की होती है। दुकानों के सामने कुछ अंतराल में 200 लीटर्स क्षमता के पानी के ड्रम की व्यवस्था बाल्टियों के साथ होनी चाहिए। पटाखा दुकानों के सामने बाईक व कार की पार्किंग प्रतिबंधित होना चाहिये। अग्निशमन विभाग एवं एम्बुलेंस का फोन नम्बर दुकान परिसर के कुछ स्थानों में लगाया जाए। अग्निशमन वाहन के मूवमेंट के लिए पर्याप्त स्थान होना चाहिए। भारतीय मानक 8758:2013 का पालन करते हुये अस्थाई संरचना और पण्डाल का निर्माण किया जावे।

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Lokesh war waghmare - Founder/ Editor

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