बिलासपुर, अक्तूबर, 30/2025
फ्लाई ऐश के जाल में फंसा कोरबा: सड़कों पर गड्ढे, उड़ती राख और हादसे — हाईकोर्ट ने SECL, NTPC, BALCO को लगाई फटकार, कहा “अब चाहिए स्थायी हल, दिखावा नहीं”
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का सख्त रूख — कंपनियों से हलफनामा तलब, सड़क निर्माण पर PWD को ठोस योजना पेश करने का निर्देश
बाल्को सीएमडी और NTPC चेयरमैन को दो हफ्तों में जवाब देना होगा — कोर्ट ने कहा, “जनता की सेहत और सुरक्षा से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं”
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के ऊर्जा राजधानी कोरबा में फ्लाई ऐश परिवहन और जर्जर सड़कों की समस्या पर राज्य हाईकोर्ट ने गुरुवार को कड़ा रुख अपनाते हुए एनटीपीसी, एसईसीएल, बाल्को और लैंको अमरकंटक पावर लिमिटेड जैसी कंपनियों को जमकर फटकार लगाई। अदालत ने कहा कि अब तक इन कंपनियों ने केवल “अस्थायी उपाय” किए हैं, जबकि ज़मीन पर कोई स्थायी समाधान लागू नहीं हुआ है।
मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति रविंद्र कुमार अग्रवाल की डिविजन बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि माणिकपुर माइंस क्षेत्र और आसपास की सड़कें खतरनाक हालात में हैं — हर तरफ उड़ती राख, कीचड़ और गड्ढों ने आमजन का जीना मुश्किल कर दिया है। वाहनों की आवाजाही जानलेवा बन चुकी है, जिससे दुर्घटनाओं और प्रदूषण का खतरा लगातार बढ़ रहा है।
कोर्ट ने कहा कि जब तक मजबूत सड़क निर्माण और वैज्ञानिक फ्लाई ऐश प्रबंधन प्रणाली नहीं अपनाई जाएगी, तब तक यह समस्या बार-बार लौटती रहेगी। अदालत ने लोक निर्माण विभाग (PWD) को आदेश दिया कि वह स्थायी सड़क निर्माण की ठोस और विस्तृत योजना तैयार करे और अपने सचिव के माध्यम से कोर्ट में प्रगति रिपोर्ट दाखिल करे।
साथ ही, अदालत ने बाल्को के सीएमडी को निर्देश दिया कि वे दो सप्ताह के भीतर शपथपत्र (हलफनामा) पेश करें, जिसमें अब तक किए गए और आगे उठाए जाने वाले कदमों का पूरा ब्योरा दिया जाए।
इसी तरह, एनटीपीसी के चेयरमैन को भी यह बताने को कहा गया है कि फ्लाई ऐश परिवहन मार्ग में बदलाव के बाद नई जगह पर पर्यावरण और जनजीवन पर नकारात्मक प्रभाव न पड़े, इसके लिए उन्होंने क्या तैयारी की है।
हाईकोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि सभी निजी कंपनियां — SECL, NTPC, BALCO, Lanco Amarkantak Power Limited — पर्यावरण संरक्षण मंडल, राज्य सरकार और नगर निगम कोरबा के साथ मिलकर दो सप्ताह के भीतर संयुक्त बैठक करें और फ्लाई ऐश परिवहन व सड़क रखरखाव के लिए स्थायी कार्ययोजना तैयार करें।
महत्वपूर्ण बात यह भी है कि कोर्ट ने नगर निगम कोरबा को अब इस मामले में नया पक्षकार बनाया है, ताकि स्थानीय स्तर पर निगरानी सुनिश्चित हो सके।
इसके अलावा अदालत ने सर्गांव क्षेत्र में सरकारी भूमि पर बने अवैध ढाबे को हटाने के आदेश को भी दोहराया। कोर्ट ने कहा कि पहले आदेश दिए जाने के बावजूद प्रशासन ने कार्रवाई नहीं की, जिसे अब तुरंत लागू करना होगा।
अदालत ने स्पष्ट किया कि अगली सुनवाई 14 नवंबर 2025 को होगी। तब तक सभी विभागों और कंपनियों को प्रमाणिक दस्तावेजों सहित अपनी प्रगति रिपोर्ट और हलफनामा पेश करना अनिवार्य होगा।
हाईकोर्ट के इस आदेश ने कोरबा की फ्लाई ऐश समस्या को लेकर सरकारी विभागों और औद्योगिक कंपनियों की जिम्मेदारी को फिर से कठघरे में ला खड़ा किया है। जनता को उम्मीद है कि इस बार अदालत की सख्ती के बाद न केवल सड़कों की हालत सुधरेगी बल्कि धूल, राख और प्रदूषण से राहत भी मिलेगी।
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