प्रदेश में आदिवासी समाज को 32% आरक्षण बहाल करने बड़ी संख्या में कलेक्टर कार्यालय पहुंचे समाज के लोग… राष्ट्रपति, राज्यपाल और मुख्यमंत्री के नाम सौंपा ज्ञापन…
बिलासपुर, अक्टूबर, 10/2022
छत्तीसगढ़ राज्य में आदिवासी समाज को 32% आरक्षण बहाल करने को लेकर सोमवार को समाज के लोग बड़ी संख्या में कलेक्टर कार्यालय पहुंच कर राष्ट्रपति, राज्यपाल और मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंप अपनी मांगे रखी है। सर्व आदिवासी समाज ने मांग पूरी ना होने पर 15 अक्टूबर से रायपुर में धरना आंदोलन करने की चेतावनी दी है।
आदिवासी सामज के लोगो ने बताया कि छत्तीसगढ़ प्रदेश में हाईकोर्ट के फैसले से आदिवासी समाज के 32% आरक्षण कम हो कर 20% को गया इस फैसले से प्रदेश में शैक्षणिक इंजीनिरिंग , मेडिकल , लॉ, उच्च शिक्षा एवं नई भर्तियों में आदिवासियों को बहुत नुकसान हो जाएगा। राज्य बनने के साथ ही 2001 मे आदिवासीयों को 32% आरक्षण मिलना था लेकिन नही मिला, केंद्र के कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के द्वारा जार निर्देश अनुसार जनसंख्या अनुरूवामी 32 % एससी 12 % और ओबीसी के लिए 6% C व D के पदों के लिए आरक्षण जारी किया गया था । छत्तीसगढ़ सरकार को बार बार निवेदन और आंदोलनों के बाद आरक्षण अध्यादेश 2012 के अनुसार आदिवासियों को 32 % . एससी 12 % एवं ओबीसी को 14% दिया गया अध्यादेश को हाईकोर्ट में अपील किया गया पर शासन द्वारा सही तथ्य नही रखने हाईकोर्ट ने आरक्षण अध्यादेश 2012 को अमान्य कर दिया। अभी तक राज्य शासन ने आदिवासियों के लिए कोई ठोस पहल नही किया गया है। इसके विपरीत शासन द्वारा सभी भर्तियों और शैक्षणिक संस्थाओं में आदिवासियों के लिए दुर्भावनापूर्ण आदेश जारी करने लगा।
छत्तीसगढ़ में 60 % क्षेत्रफल पंचवी अनुसूचित के तहत अधिसूचित है जहां प्रशासन और नियंत्रण अलग होगा। अनुसूचित क्षेत्रो में अदिवासियो की जनसंख्या 70 % से लेकर 90 % से ज्यादा है और कई ग्रामो में 100 % आदिवासियों की संख्या है। अनुसूचित क्षेत्रों में ही पूरी संपदा ( वन, खनिज एवं बौद्धिक )है। छत्तीसगढ़ में आदिवासी समाज शैक्षणिक, आर्थिक, सामाजिक एवं राजनितिक रूप से पिछड़ा हुआ है। संवैधानिक प्रावधान के बाद भी आदिवासी बाहुल्य पिछडे प्रदेश में आदिवासियों को आरक्षण से वंचित करना है। प्रशासन की विफलता और षड्यंत्र है। छत्तीसगढ़ में आरक्षण के लिए आवेदन के साथ लोकतांत्रिक तरीके से आंदोलन करने के लिए समाज बाध्य होगा।
आदिवासी सामज की प्रमुख मांगे…
1,, पेशा कानून नियम में ग्राम सभा का अधिकार कम ना किया जाये ।
2,, बस्तर एवं सरगुजा में तृतीय एवं चतुर्थ वर्ग की भर्ती में 100 प्रतिशत स्थानीय किया जाये ।
3,, केंद्र के द्वारा वन अधिकार संरक्षण अधिनियम 2022 को लागू ना किया जाए।
4,, हसदेव आरण्य क्षेत्र में आदिवासी एवं पर्यावरण संरक्षण हेतु कोल खनन बंद किया जाए।
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