बिलासपुर // जमीन और शराब के धंधे से अलग रेत से तेल निकालने के खेल में शामिल माफिया आम लोगों से इस कदर वसूली कर रहे हैं कि घर बनाने का सपना संजोए लोगों की कमर ही टूट गई है। हालात यह है कि कुछ रेत माफियाओं ने सिंडीकेट बना लिया है और खनिज विभाग से अलग अपना रेट तैयार कर लिया है। पता चला है कि प्रति ट्रैक्टर 400 रुपए की बेजा वसूली की जा रही है। यह मामला खनिज विभाग तक पहुंच गया है।
छत्तीसगढ़ प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद नदियों से रेत निकालने के लिए ओपन ठेका हुआ। शराब दुकान सरकार के हाथों में चले जाने के बाद शराब माफिया भी रेत के खेल में कूद गए हैं। इस धंधे में जमीन माफिया भी शामिल हो गए हैं। बिलासपुर जिले की बात करें तो ज्यादातर रेत घाट जमीन और कभी शराब के धंधे से जुड़े हुए लोगों को ही मिला है। कांग्रेस सरकार ने इस बार बकायदा रेत का रेट भी तय कर लिया है। इसके तहत प्रति ट्रैक्टर रेत की कीमत रायल्टी और लोडिंग मिलाकर 5 सौ रुपए तय की गई है। हाइवा की बात करें तो 18 सौ रुपए में लोडिंग और रायल्टी के साथ रेत देनी है, लेकिन रेत माफियाओं ने आम जनता की जेब पर डाका डालने के लिए अलग ही रणनीति बना रखी है। इसका खुलासा रेत माफियाओं के आपसी झगड़े से हुआ है। पता चला है कि खनिज विभाग को एक रेत ठेकेदार ने गोपनीय शिकायत की है, जिसमें उसने बताया है कि शहर से लगे कुछ घाटों के ठेकेदारों ने सिंडीकेट बना लिया है और खनिज विभाग से अलग रेट तय कर लिया है। शिकायत के अनुसार बिना रायल्टी के प्रति ट्रैक्टर रेत 300 रुपए में दी जा रही है और लोडिंग चार्ज 300 रुपए भी ट्रांसपोर्टर से लिया जा रहा है। रायल्टी पर्ची मांगे जाने पर 300 रुपए अलग लिए जा रहे हैं, जबकि सरकार ने लोडिंग और रायल्टी के साथ प्रति ट्रैक्टर रेत की कीमत 500 रुपए तय कर रखी है। इसी तरह से बिना रायल्टी के प्रति हाइवा रेत 1800 रुपए में दी जा रही है। इसमें लोडिंग चार्ज ट्रांसपोर्ट से अलग लिया जा रहा है। हाइवा चालक द्वारा रायल्टी पर्ची मांगे जाने पर जवाब मिलता है कि 1000 रुपए और पटाओ। एक रेत ठेकेदार के खुलासे के बाद यह तो साफ हो गया है कि रेत ठेकेदारों पर सरकार और प्रशासन की कोई नकेल नहीं है। वे मनमर्जी से रेट तय कर लोगों को रेत बेच रहे हैं।
सरकंडा से कछार तक फैला है कारोबार
बिलासपुर जिले की बात करें तो सरकंडा से कछार तक रेत का कारोबार फैला हुआ है। ये ऐसे रेत घाट हैं, जहां से अधिक रेत निकाली जाती है और फायदा भी सबसे ज्यादा यहीं से होता है। सरकंडा से कछार तक रेत घाट लेने वाले कुछ ठेकेदारों ने आपस में सिंडीकेट बना लिया है। इसकी जानकारी भी नामजद खनिज विभाग को दी गई है।
उप संचालक डॉ. मिश्रा बोले- यदि ऐसा है तो कार्रवाई होगी
खनिज विभाग के उप संचालक डॉ. दिनेश मिश्रा का कहना है कि उनके पास ऐसी शिकायत तो नहीं आई है। आवक-जावक में शिकायत दी गई होगी तो ढूंढवाया जाएगा। शिकायत की कापी मिलते ही नियम के तहत कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि यदि कोई ठेकेदार अधिक कीमत पर रेत बेच रहा है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
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