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छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार आने से मीसा बंदियों को रूकी पेंशन की जगी आस… कांग्रेस सरकार ने लगाई थी रोक…

छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार आने से मीसा बंदियों को रूकी पेंशन की जगी आस… कांग्रेस सरकार ने लगाई थी रोक…

बिलासपुर, दिसंबर, 072023

छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में भाजपा की बहुमत के साथ सरकार बनने से अब मीसाबंदियो को फिर से उम्मीद जगी है और उनकी रूकी हुई पेंशन मिलने का रास्ता भी साफ हो सकता है। 15 साल भाजपा की रमन सरकार रही उन्होंने आपातकाल में जेल में बंद रहे मीसा बंदियों को पेंशन देना शुरू किया था। 2018 तक पेंशन मिलती रहीं उसके बाद प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी और भूपेश बघेल ने इस पेंशन योजना को बंद कर दिया यह मामला हाईकोर्ट गया और मीसा बंदियों के पक्ष में फैसला आया लेकिन कांग्रेस सरकार ने फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और वहां अभी विचाराधीन है। लेकिन भाजपा की सरकार बनने से अब एक उम्मीद जरूर जगी है।

आपको बता दे की छत्तीसगढ़ में 750 मीसाबंदी या उनके स्वजन हैं, जो उनकी जगह पेंशन के पात्र हैं। आपातकाल के दौर में राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ दमनात्मक कार्रवाई हुई थी। तब मीसा कानून के तहत कई लोगों को जेल में डाल दिया गया था। इससे इनका करियर व कारोबार चौपट हो गया था। छत्तीसगढ़ में भाजपा शासनकाल के दौरान इन मीसाबंदियों को लोकतंत्र सेनानी नाम देते हुए जयप्रकाश नारायण सम्मान निधि के तहत पेंशन शुरू की गई। इनकी दो श्रेणी बनाई गई, जिसमें 10 हजार और 25 हजार रुपये प्रतिमाह पेंशन दी जाती थी। वर्ष 2018 में छत्तीसगढ़ में सत्ता परिवर्तन होने के बाद कांग्रेस सरकार ने मीसा बंदियों को दी जा रही पेंशन पर रोक लगा दी थी। इसके खिलाफ पेंशनरों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। कोर्ट ने मीसा बंदियों के पक्ष में फैसला सुनाया। हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी (स्पेशल लीव पिटिशन) दायर की है। यह याचिका लंबित है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता भारत गुलाबानी का कहना है कि राज्य सरकार चाहे तो सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी को विड्रा कर सकती है। विड्रा करने के बाद मीसाबंदियों को पेंशन भुगतान का आदेश जारी कर सकती है।

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