राजस्व विभाग का एक और कारनामा…2 एकड़ शासकीय भूमि का नामांतरण… चढ़ गई निजी व्यक्ति के नाम… 26 सालो से छोटे बड़े झाड़ के जंगल मद में दर्ज है भूमि… कलेक्टर से हुई शिकायत…
बिलासपुर, दिसंबर, 23/2022
बिलासपुर के राजस्व विभाग में रोज नए नए कारनामे सामने आ रहे है शासकीय जमीन की बंदरबांट का खेल थम नहीं रहा है। शासकीय जमीनों में हेर फेर लगातार जारी है। शहर की सैकड़ों एकड़ शासकीय जमीन गायब हो चुकी है। भोंदूदास प्रकरण हो या अन्य हर जगह भूमाफिया और अधिकारियों की मिलीभगत से शासकीय जमीन निजी व्यक्तियों के नाम चढ़ी जा रहा है।
ऐसा ही एक मामला फिर सामने आया है जहां 26 सालों से एक जमीन जो रिकार्ड में शासकीय मद में निस्तार पत्रक में छोटे बड़े झाड़ के जंगल में दर्ज है जिसे एक निजी व्यक्ति के नाम चढ़ा दी गई है। वो भी बिना नियम कायदे के ना तो किसी अखबार में उसका प्रकाशन किया गया ना ही उसके रिकार्ड की जांच की गई। नियम से परे जा कर शासकीय भूमि का नामांतरण कर दिया गया। राजस्व विभाग का ये कोई नया कारनामा नही है इसके पहले भी बिलासपुर तहसील में इस तरह के खेल चलते रहे है और अभी भी जारी है।
हम बात कर रहे है पटवारी हल्का 29 मोपका क्षेत्र के 993/1ट की जिसका रकबा 2 एकड़ है और शासकीय मद में निस्तार पत्रक में छोटे बड़े झाड़ के जंगल भूमि मद में दर्ज है जिसका 26 साल बाद नामांतरण नियमो का पालन किए बिना ही राजस्व प्रकरण क्रमांक 880/अ-6/2018-19 मे माध्यम से 20 सितंबर 2022 को बिना ग्रामवासियो एवं शासन को पक्षकार बनाए नामांतरण कर दिया गया है। इस मामले में ग्राम वासियों ने मिलकर कलेक्टर से शिकायत की है।
बिना जानकारी व सूचना के कर दिए नामांतरण…
बिना नक्शा बटांकन के ही उक्त भूमि का विधिविरुद्ध सीमांकन कर दिया गया। जिस स्थान पर ग्राम मोपका के लोग एवं अन्य लोग विगत कई वर्षो से सार्वजनिक खेल कूद के लिए उपयोग करते है उस स्थान पर विधिविरुद्ध तरीके से स्थापित करने का षडयंत्र किया जा रहा । उक्त भूमि के सीमांकन की कोई भी सूचना ग्राम मोपका के सार्वजनिक स्थान पर प्रकाशित नहीं की गई है जो कि विधिविरुद्ध है। जानकारी के अनुसार उक्त भूमि के बिक्री अनुमति का आवेदन दिया गया था जो कि विधिविरुद्ध है क्योंकि उसमे समस्त ग्राम वासियों की आपत्ति है उस स्थान का उपयोग वर्तमान में ग्राम वासी सार्वजनिक उपयोग करते है विगत कई वर्षो से उक्त भूमि पर समस्त ग्राम वासियों का ही कब्जा है । उक्त भूमि पर आवेदक अमृत लाल का कभी भी कोई कब्जा नहीं रहा है पट्टा नियमों के तहत पट्टा समाप्त हो चुका है । छ.ग.भू.रा. संहिता की धारा 257 ( ड ) मे स्पष्ट प्रावधान है कि सिविल कोर्ट को शासकीय पट्टे से प्राप्त भूमि के बेदखली के संबंध में सुनवाई की अधिकारिता नहीं है, जिस बात को उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़ ने श्रीमति नानबूटिया विरुद्ध श्रीमति मंगलीनबाई अपील न. 331 ( 1993 ) आदेश दिनांक 14.09.2010 के माध्यम से भी धारा 250 छ.ग.भू.रा. संहिता की प्रयोज्यता को स्पष्ट किया है ।
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