• Sat. Jul 5th, 2025

News look.in

नज़र हर खबर पर

माँ दुर्गा की छठवी शक्ति माँ कात्यायनी की माता चौरा में हुई विशेष पूजा अर्चना…

बिलासपुर, अक्तूबर, 08/2024

माँ दुर्गा की छठवी शक्ति माँ कात्यायनी की माता चौरा में हुई विशेष पूजा अर्चना…

माँ कात्यायनी जी की पूजा छटवे दिन बिलासपुर के वार्ड नंबर 16 विष्णु नगर कुदुदण्ड के माता चौरा स्थित मंदिर में विशेष पूजा अर्चना की गई। मंदिर समिति की ओर से पंडित आचार्य लोमश पांडे ने बताया कि मां दुर्गा के छठे रूप को मां कात्यायनी कहा जाता है। नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। इस पूजा में मुख्य जजमान के रूप में श्रीमती अनीता/भारत पांडे,, श्रीमती रंजू /दिनेश निर्मलकर मंदिर समिति की ओर से अध्यक्ष कमल जैन, रवि चतुर्वेदी, राजू गुप्ता, संदीप भोसले, विजय यादव, हनुमान प्रसाद देवांगन, सखन पटेल, बैग शंभू यादव, मांगे यादव, धनंजय यादव, जुगनू रजक, राजकुमार पांडे, तुषार पांडे समिति के सदस्य व भक्तजन भारी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।

मां कात्यायनी से जुड़ी कुछ खास बातें है…

नवरात्रि में छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। इनकी उपासना और आराधना से भक्तों को बड़ी आसानी से अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति होती है। उसके रोग, शोक, संताप और भय नष्ट हो जाते हैं। जन्मों के समस्त पाप भी नष्ट हो जाते हैं।

इस देवी को नवरात्रि में छठे दिन पूजा जाता है। कात्य गोत्र में विश्वप्रसिद्ध महर्षि कात्यायन ने भगवती पराम्बा की उपासना की। कठिन तपस्या की। उनकी इच्छा थी कि उन्हें पुत्री प्राप्त हो। मां भगवती ने उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लिया। इसलिए यह देवी कात्यायनी कहलाईं। इनका गुण शोधकार्य है। इसीलिए इस वैज्ञानिक युग में कात्यायनी का महत्व सर्वाधिक हो जाता है। इनकी कृपा से ही सारे कार्य पूरे जो जाते हैं। ये वैद्यनाथ नामक स्थान पर प्रकट होकर पूजी गईं। मां कात्यायनी अमोघ फलदायिनी हैं।

भगवान कृष्ण को पति रूप में पाने के लिए ब्रज की गोपियों ने इन्हीं की पूजा की थी। यह पूजा कालिंदी यमुना के तट पर की गई थी। इसीलिए ये ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में प्रतिष्ठित हैं। इनका स्वरूप अत्यंत भव्य और दिव्य है। ये स्वर्ण के समान चमकीली हैं और भास्वर हैं।

इनकी चार भुजाएं हैं। दाईं तरफ का ऊपर वाला हाथ अभयमुद्रा में है तथा नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में। मां के बाईं तरफ के ऊपर वाले हाथ में तलवार है व नीचे वाले हाथ में कमल का फूल सुशोभित है। इनका वाहन भी सिंह है। इनकी उपासना और आराधना से भक्तों को बड़ी आसानी से अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति होती है। उसके रोग, शोक, संताप और भय नष्ट हो जाते हैं। जन्मों के समस्त पाप भी नष्ट हो जाते हैं। इसलिए कहा जाता है कि इस देवी की उपासना करने से परम पद की प्राप्ति होती है।

लाल रंग और शहद मां को पसंद है…

मां कात्यायनी को लाल रंग बेहद पसंद है। उन्हें शहद का भोग लगाया जाता है। शहद खाकर वे बहुत प्रसन्न होती है। कात्यायनी की उपासना व पूजन से अद्भुत शक्ति का संचार होता है। दुश्मनों का संहार करने के लिए मां शक्ति प्रदान करती हैं और इनका ध्यान गोधुलि बेला अर्थात् शाम के समय में करना चाहिए। मां कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत भव्य और दिव्य है। मां मीठा पान बहुत पसंद है जो भोग के रूप में आज मन को भेंट किया गया।

 

Author Profile

Lokesh war waghmare - Founder/ Editor